15 दिसंबर 2021

वर्दी वाला फरिश्ता - वेद प्रकाश शर्मा

प्रिय साथियों ! अप्रकाशित उपन्यासों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज आपको इस पोस्ट में हम बताने जा रहे हैं वेद प्रकाश शर्मा के अब तक अप्रकाशित उपन्यास " वर्दी वाला फरिश्ता " के बारे में ! 

                       उपन्यास वर्दी वाला फरिश्ता का विज्ञापन 

"वर्दी वाला फरिश्ता" उपन्यास का विज्ञापन वेद प्रकाश शर्मा जी के 157वें उपन्यास के तौर पर दिया गया था और विज्ञापन के अनुसार उपन्यास के तुलसी पेपर बुक्स से प्रकाशित होने की संभावना थी। परंतु ये उपन्यास कभी प्रकाशित ही नहीं हुआ!

इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न आलेखों को चेक करने के पश्चात प्राप्त हुई संक्षिप्त जानकारी के अनुसार वेद जी "वर्दी वाला गुंडा" उपन्यास की भारी सफलता के बाद से ही एक ऐसा उपन्यास लिखना चाहते थे जिसमे पुलिस की अच्छी और नायक वाली छवि दिखाई जा सके। "वर्दी वाला गुंडा" उपन्यास में पुलिस की भूमिका अधिकांशत: नकारात्मक ही थी। 
अब ये जानकारी सही है या गलत - इस बारे में या तो वेद जी के परिवार का कोई सदस्य बता सकता है या फिर कोई पुराना प्रकाशक या फिर कोई पाठक जो इस बारे में कुछ जानता हो!

मेरी राय में अगर वेद जी पुलिस की अच्छी छवि और किसी पुलिस वाले को मुख्य सकारात्मक भूमिका में रखकर ये उपन्यास लिखते और उपन्यास प्रकाशित होता तो निश्चय ही पाठक इस उपन्यास को पढ़ने के प्रति अपनी दिलचस्पी प्रदर्शित करते!

क्या यह उपन्यास लिखा ही नहीं जा सका? 
क्या उपन्यास का लेखन कार्य किसी कारणवश अधूरा ही रह गया? 
अगर उपन्यास पूरा लिखा जा चुका था तो फिर प्रकाशित क्यों नहीं हो पाया? 
ये सब प्रश्न अब तक अनुत्तरित हैं।

अगर आपके पास इस बारे में कोई जानकारी हो तो कमेंट्स के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हैं |

3 टिप्‍पणियां:

  1. Vardi wala farista ved ji nahi prakashit kar paye agar iikhte to sochiye kya zabardast hota kyoki unke lekhan ka tarika hi eisa tha
          Verdi wala gunda unka superhit novel tha yahi wah novel tha jiske baad log ved ji ki loah lekhani ko man gaye they warna shuru shuru mein log ye sochate they ki vijay-vikas series ke karan hi inke novel bikte hai bari wala gunda wo novel tha jiski kai pratiya biki
    halanki Surendra Mohan Pathak inse bhuhut alag likhate they par ek novel jis
    Mein police ki bhumika sakaratmak aur achhi dikhai gayi "dial"100 ke naam se likha tha wo bhi famous hua tha
    maine wardi wala gunda aur dial 100 dono hi padhe hai dono badhiya hai

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    1. बढ़िया जानकारी दी आपने सर दोनो ही उपन्यास बढ़िया है हालाकि डायल सौ पढ़ नही पाया पर सुरेंद्र मोहन पाठक जी बढ़िया लिखते है जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी..

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