03 अगस्त 2022

अनिल मोहन (प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार)

अनिल मोहन - हिंदी उपन्यास जगत में एक ऐसा नाम जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। 
                   अनिल मोहन जी

अनिल मोहन हिंदी उपन्यास जगत (लुगदी साहित्य) में एक बेहद प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। जासूसी, थ्रिलर एवं फैंटेसी पर आधारित उपन्यास लिखना इनकी विशेषता है। इनका पूरा नाम अनिल मोहन भारद्वाज है और ये दिल्ली में विकासपुरी क्षेत्र के निवासी हैं। 

हिंदी उपन्यास जगत में एक समय ऐसा भी था जब सिर्फ सुरेंदर मोहन पाठक, वेद प्रकाश शर्मा और अनिल मोहन की तिकड़ी ही मुख्यतः छाई हुई थी। उस समय मार्केट में बिकने वाले हिंदी उपन्यासों में अधिकांश उपन्यास इन तीनों के ही होते थे। उस दौरान अनिल मोहन के किसी भी उपन्यास की छपते ही 50,000 प्रतियां बिक जाती थीं। 

अनिल मोहन जी को लिखने का शगल तो शुरू से ही था परंतु कॉलेज की पढ़ाई खत्म होते- होते उनका ये शगल उन्हें हिंदी उपन्यास लेखन के क्षेत्र में खींच लाया। परंतु उस समय किसी भी नए लेखक के लिए शुरुआत में ही स्वयं के नाम से उपन्यास प्रकाशित करवा पाना बहुत कठिन होता था। प्रकाशक पहले नए लेखक को प्रेत लेखन में अवसर देकर परखता था। फिर अगर लेखक की लेखनी में दम हो, उसकी किस्मत अच्छी हो और प्रकाशक भी बढ़िया हो तो कुछ वर्षों में लेखक का स्वंय के नाम से उपन्यास प्रकाशित हो जाता था। बहुत से लेखकों का तो अपना उपन्यास प्रकाशित करवाने का सपना अधूरा ही रह गया था।

हमारे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार अनिल जी ने भी अपने लेखन कैरियर के प्रथम 11 से 12 वर्षों तक प्रेत लेखन ही किया था और सिर्फ प्रेत लेखक के रूप में ही उन्होंने लगभग 300 से अधिक उपन्यास लिखे थे। उन्होंने अपना पहला उपन्यास इब्ने कफ़ी के नाम से लिखा, प्रेत लेखक के रूप में उन्होंने विभिन्न प्रकाशकों के लिए काम किया और कई ट्रेड नाम वाले लेखकों के नाम से प्रेत लेखन किया जैसे कि  नागपाल, राजवंश, मेजर बलवंत, मीनाक्षी माथुर कर्नल रंजीत इत्यादि। 

आखिरकार 1988 में वो समय भी आया जब अनिल जी का प्रथम उपन्यास "सबसे बड़ा हत्यारा" उनके नाम से प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास जब मार्केट में आया तो पाठकों ने इसे पसंद किया। इसके बाद अपने हर उपन्यास के प्रकाशन के साथ अनिल जी पाठकों के दिल में अपनी जगह बनाते गए और सफलता की सीढियां चढ़ते चले गए। अनिल जी के स्वयं के नाम से अब तक 250 से भी अधिक उपन्यास विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किये जा चुके हैं। इनके काफी उपन्यास रीप्रिंट हो चुके हैं तथा इन्होंने कई उपन्यास अमेजन की वेबसाइट पर किंडल एडिशन में भी रिलीज किए हैं। कुछ प्रकाशकों ने इनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए इनकी अनुमति के बिना इनके कुछ उपन्यासों के रीप्रिंट तथा ऑडियोबुक्स रिलीज करने की कोशिश भी की थी जिसे अनिल मोहन ने कानूनी कार्रवाई के माध्यम से रुकवा दिया था।

अनिल मोहन के पसंदीदा लेखक अंग्रेजी उपन्यासकार जेम्स हेडली चेस हैं। अनिल जी एक वर्ष में 9 से 10 उपन्यास तक लिख देते थे। काफी वर्षों तक उन्होंने उपन्यास लिखने की ऐसी गति बरकरार रखी जिस कारण उनके द्वारा लिखे उपन्यासों की संख्या अधिक है। 

विभिन्न पाठकों के साथ अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स (व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फोन, मुलाकात इत्यादि) पर हुए वार्तालाप के दौरान हमने ये पाया कि कई पुराने पाठकों के अनुसार अनिल मोहन ने प्रेत लेखन सहित कुल मिलाकर लगभग 700 से ज्यादा उपन्यास लिखे हैं। हमारे लिए इस आंकड़े की पुष्टि करना कठिन है क्योंकि उस जमाने में हिंदी उपन्यासों का रिकॉर्ड अधिक गंभीरता से सहेजकर नही रखा जाता था। स्वयं अनिल जी के लिए भी उनके द्वारा लिखे गए उपन्यासों के नाम तथा उनकी संख्या की सही पुष्टि कर पाना कठिन होगा।

अनिल मोहन द्वारा रचे गए मुख्य पात्रों की लिस्ट में देवराज चौहान, मोना चौधरी, अर्जुन भारद्वाज, आर. डी. एक्स. (राघव धर्मा एक्स्ट्रा की तिकड़ी), विजय बेदी और जुगल किशोर के नाम उपस्थित हैं। साथ ही यादगार सहायक पात्रों की लिस्ट में सोहनलाल, जगमोहन, पारसनाथ, महाजन, महादेव, वानखेड़े, नगीना, गजाला, फकीर पेशीराम जैसे नाम शामिल हैं। 

अगर उपन्यास श्रृंखलाओं की बात करें तो अनिल मोहन ने देवराज चौहान, मोना चौधरी, अर्जुन भारद्वाज, आर डी एक्स, जुगल किशोर तथा विजय बेदी सीरीज के उपन्यास लिखे हैं। ये सब उपन्यास मुख्यत: जासूसी, थ्रिलर और फैंटेसी श्रेणी के हैं। इनमें से देवराज चौहान तथा मोना चौधरी सीरीज के उपन्यास पाठकों में सर्वाधिक लोकप्रिय रहे हैं। अनिल जी ने सबसे अधिक उपन्यास देवराज चौहान श्रृंखला में लिखे हैं जो कि इनकी सबसे सफल श्रृंखला है। उपरोक्त लिखित उपन्यास श्रृंखलाओं के अलावा अनिल मोहन ने बिना किसी श्रृंखला वाले थ्रिलर उपन्यास भी लिखे हैं।

आपको अनिल मोहन द्वारा रचित काफी सारे उपन्यास ऐसे मिलेंगे जो पार्ट्स में लिखे गए हैं। एक ही कहानी 2, 3 या उससे भी ज्यादा उपन्यासों में जाकर पूरी होती है। उनकी ऐसी कई कहानियां अभी तक पूरी नहीं हो पाई क्योंकि बचे हुए पार्ट्स वाले उपन्यास या तो प्रकाशित नहीं हुए या फिर अनिल जी कहानी के बचे हुए पार्ट्स लिख ही नहीं पाए। इसका कारण चाहे जो भी रहा हो, अधूरी बची कहानियों को पूर्ण करने की उम्मीद आज भी कई पाठक अनिल मोहन से लगाए बैठे हैं।

पात्रों के अनुसार अनिल मोहन जी के उपन्यासों की लिस्ट निम्नलिखित हैं:

महादेव :-
घर का शेर
मोहरा
दौलत के खिलाड़ी
फायर
जहाज नंबर 302
लूटमार
दूसरा चेहरा
फिरौती

 वानखेडे:-
दिन दहाड़े लूट
जान के दुश्मन
खूंखार
जांबाज
डकैती
टक्कर
विधि का विधान
दौलत का ताज
आतंक का पहाड़
एक रुपये की डकैती
301 करोड़ की चाबी
डकैती के बाद
गिरोहबाज
पहरेदार
जालिम
विस्फोट
अंडरग्राउंड
हथियार
एक डकैती ऐसी भी
तबाही
दौलत मेरी मुठी में
एक दिन का हिटलर
फायर
बदमाशों की टोली
कमांडो
सरकारी शैतान
मिशन डकैती मास्टर
डकैती तेरे नाम की
ठेकेदार
यारी दौलत से
दौ लत मेरी माँ
गुर्गा
हैवान
आर.डी.एक्स 
गुरु का गुरु
हाईजैकर
संगीन डकैती
वर्दी का नशा
मुखबिर
बबूसा
डकैती का अलार्म
कॉन्ट्रैक्ट
लाइसेंस टू किल
मिशन प्राइम मिनिस्टर
हांगकांग में डकैती
किस्मत का सुलतान

सोहनलाल:-
पाप का घड़ा
बारूद का ढेर
डंके की चोट
दोलत के दांत
धोखाधड़ी
पहरेदार
हमला
जालिम
बादशाह
विस्फोट
अंडरग्राउंड
तबाही
एक दिन का हिटलर
जहाज नंबर 302
जीत का ताज
ताज के दावेदार
कमांडो
कौन लेगा ताज
रफ्तार
डाका
पहली चोट
सरकारी शैतान
दूसरी चोट
तीसरी चोट
महामाया की माया
चौकीदार
मिशन डकैती मास्टर
डकैती तेरे नाम की
ठेकेदार
यारी दौलत से
जुआरी
दोलत मेरी माँ
27 सेकंड
देवदासी
इच्छाधारी
हिस्सेदार
नागराज की हत्या
विष मानव
दौलत का जहाज
मास्टर
गुड्डी
मंत्र
गुर्गा
केकड़ा
गिरोह
आर.डी.एक्स 
गुरु का गुरु
माई का लाल
हाईजैकर
जथुरा
पोटेबाबा
यू टर्न
महाकाली
बंधक
सबसे बड़ा हमला
किस्मत का सुल्तान
नसीब के पत्ते
नागमणि
नरबलि
100 माइल्स
डॉन जी
नागिन
सबसे बड़ा गुंडा
वर्दी का नशा
मैं हूं देवराज चौहान
जिंदा आंखें
मुखबिर
मिस्ड कॉल
बबूसा
बबूसा और राजा देव
डकैती का जादूगर
लाइसेंस टू किल
वो कौन था
हांगकांग में डकैती

गजाला:-
ज्वालामुखी
खूंखार
जांबाज
आतंक का पहाड़
जिन्न
हाईजैकर


उनके श्रृंखलाबद्ध रूप में लिखे गए उपन्यासों की लिस्ट निम्नलिखित है :-

2 उपन्यास वाली श्रृंखलाएं:-
हमला, जालिम
ज्वालामुखी, खूंखार
100 माइल्स, डाॅन जी
सबसे बड़ा गुण्डा, मैं हूँ देवराज चौहान
एक रुपये की डकैती, डकैती के बाद
बारूद से मत खेलो, दौलत के दांत
अंडरवर्ल्ड, गैंगवार
अनोखी दुल्हन, दुल्हन मेरी मुट्ठी में
दौलत मेरी माँ, जीना इसी गली में
पहरेदार, सुलग उठा बारूद
फिक्स्ड गेम, डबल प्ला‌‌न
ऑपरेशन टू किल, ऑपेरशन 24 कैरेट
खबरी, अघोरी

3 उपन्यास वाली श्रृंखलाएं:-
दिल्ली का दादा, दरिंदे, हिंसक
जथूरा, पोतेबाबा, महाकाली
बंधक, सबसे बड़ा हमला, वांटेड अली
नागिन, नरबलि, नागमणि
डकैती का जादूगर, हांगकांग में डकैती, लाइसेंस टू किल
ताज के दावेदार, कौन लेगा ताज, जीत का ताज
पूर्वजन्म, यज्ञ, मायाजाल

4 उपन्यास वाली श्रृंखलाएं:-
पहली चोट, दूसरी चोट, तीसरी चोट, महामाया की माया
गोला बारूद, भूखा शेर, आदमखोर, निशानेबाज
सरगना, मास्टर, गुड्डी, मंत्र
देवदासी, इच्छाधारी, नागराज की हत्या, विष मानव
नब्बे करोड़, 36 दिन, सच का सिपाही, डमरू

6 उपन्यास वाली श्रृंखला:-
बबूसा, बबूसा और राजादेव, बबूसा खतरे में, बबूसा का चक्रव्यूह, बबूसा और सोमाथ, बबूसा और खुंबरी


अगर आपके पास अनिल मोहन जी के बारे में कोई और जानकारी उपलब्ध हो तो कॉमेंट्स के माध्यम से हमारे साथ शेयर करें। हमेशा की तरह हमें आपके कॉमेंट्स की प्रतीक्षा रहेगी।

20 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तम लेख उत्तम जानकारी,
    कृपया अनिलजी के घोस्ट लेखन वाले उपन्यास के नाम बतावे

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    1. शुक्रिया सर
      सर कोशिश जारी है जल्द ही अपडेट करेंगे

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  2. बहुत ही अच्छी जानकारी 👌

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  3. कृपया इनके सिर्फ थ्रिलर उपन्यास बताये जिसमे इनके रेगुलर पात्र न हो।

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    1. खून का रिश्ता
      नफरत की दीवार
      खून की प्यासी
      सिक्रेट एजेंट
      मौत की शतरंज
      आतंक के साए
      जुर्म का जहाज
      नकली चेहरा
      कानून का शिकंजा
      घर का भेदी
      कसाई
      बकरे की मां
      मुखौटा

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  4. धन्यवाद सर जी🙏

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  5. बहुत ही बढ़िया जानकारी दी हैं

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  6. मैं अनिल जी के उपन्यास 92 से पढ़ रहा हूं अब मुझे इनका बाबूसा वाली सीरीज के सारे उपन्यास चाहिएमैं अनिल जी के उपन्यास 92 से पढ़ रहा हूं अब मुझे इनका बाबूसा वाली सीरीज के सारे उपन्यास चाहिए

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    उत्तर
    1. सर बबूसा सीरीज किंडल पर उपलब्ध है आप किंडल पर जाकर पूरी सीरीज पढ़ सकते हैं।

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  7. मेने अपनी जिंदगी में सुरेँदर मोहन पाठक और अनिल मोहन जी के ही उपन्यास पढें हे

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  8. मैं अनिलमोहनजी का पुराना फैन हूं उनके कई उपन्यास मेरे पास है भाई अब दिक्कत ये हैं की अमेजन किंडल में ये मेरे से खुलते नई है प्लीज सुझाव दे

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    1. भैया आप 7497070299 पर व्हाट्सअप कीजिए क्या समस्या आ रही है फिर जरूर समाधान करने की कोशिश करूँगा.

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  9. चार वाली श्रृंखला में तबाही गलत हैं। इसकी ज़गह नब्बे करोड़ होना चाहिए।

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  10. कई नई बातें पता चली आपके लेख के माध्यम से सुनील जी। अनिल मोहन जी के उपन्यास मेरे favourite रहे हैं। यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि उस दौर में एक एक उपन्यास की 50000 तक प्रतियां बिक जाती थी अनिल मोहन जी की। अनिल मोहन जी हिंदी उपन्यास जगत के कुछ गिने चुने सर्वोत्तम लेखको में से हैं।उनकी जादुई लेखनी का कोई सानी नही। आपने कई प्रकार की सूची उपलब्ध कराई आपका बहूत धन्यवाद

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