18 नवंबर 2021

नरपिशाच - देवेंद्र प्रसाद

पुस्तक : नरपिशाच 
लेखक : देवेंद्र प्रसाद 
पृष्ठ संख्या : 80 (इ-पब फॉर्मेट)

                           नरपिशाच कवर 

लेखक देवेंद्र प्रसाद ने हॉरर (भय, दहशत, भूत-प्रेत इत्यादि) श्रेणी में अपनी पहचान बनाई है | मेरे अनुमान से नरपिशाच हॉरर श्रेणी में लेखक द्वारा लिखी गयी तीसरी पुस्तक है | 

सबसे पहले तो मैं ये बताना चाहूंगा कि नरपिशाच कोई नॉवल नहीं बल्कि एक कहानी संग्रह है जिसमे 5 भिन्न-भिन्न लघु कहानियाँ हैं | कहानियों के नाम निम्नलिखित है: 
नरपिशाच ,छलावा, आधी हकीकत आधा फ़साना, नन्ही चुड़ैल, शिमला का नरपिशाच | 

पुस्तक का शीर्षक थोड़ा सा भ्रामक है | नरपिशाच शीर्षक से ऐसा लगता है कि पूरी पुस्तक नरपिशाच को आधार बनाकर लिखी गयी है परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है | 

उपन्यास की प्रथम कहानी नरपिशाच से एक अंश : 
"साहब, धीमी-सी रोशनी थी लेकिन मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि मैंने उस खौफ़नाक चेहरे को काफी करीब से देखा था और उसके नुकीले दाँतों को यहाँ चुभते हुए महसूस भी किया था। उसके लम्बे-लम्बे नाखून बनावटी नहीं हो सकते।
हाँ, साहब ! वह कोई और नहीं बल्कि वो... वो... वही था...एक- नरपिशाच !!!"

अब पुस्तक की बात करें तो 'नरपिशाच ' कहानी से पुस्तक की शुरुआत होती है | एक कस्बे के पुराने चर्च में एक आदमी विलियम लोहे के खम्भे से बंधा हुआ है | विलियम के आस-पास फादर एंथोनी, कस्बे के कुछ लोग और जेनीलिया नाम की कस्बे की ही एक लड़की खड़े हैं | विलियम पर नरपिशाच होने का इल्जाम है | 
दूसरी कहानी 'छलावा' में एक युवक कबीर अपने दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए राजस्थान के एक छोटे से गाँव की ओर कार में ड्राइवर के साथ जाता है | ड्राइवर उसे रास्ते में पड़ने वाले एक सुनसान हिस्से और उस हिस्से में मिलने वाले जानलेवा छलावा की बहुप्रचलित कहानी सुनाता है | कबीर इसे मजाक में उड़ा देता है पर कुछ समय बाद उसी सुनसान हिस्से में उनकी कार खराब हो जाती है और दूर-दूर तक किसी इंसान या मदद की उम्मीद नहीं दिखाई देती |
तीसरी कहानी 'आधी हकीकत आधा फ़साना' में एक छात्र नीतीश लेट हो जाता है और बस स्टैंड से अपने गाँव की शाम की आखिरी बस उससे छूट जाती है | इस कारण उसे अकेले ही गाँव तक पांच किलोमीटर के सुनसान डरावने रास्ते की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है | 
चौथी कहानी 'नन्ही चुड़ैल' में एक लड़का पंकज आधी रात को सिनेमा में हॉरर फिल्म देखने के बाद रास्ते में पड़ने वाले शमशान घाट को पार करता है तो वहां एक अकेली बैठी छोटी सी लड़की से मिलता है | 
पांचवीं और अंतिम कहानी 'शिमला का नरपिशाच ' शिमला के पास कुफरी में अंग्रेजों के जमाने की एक पुरानी रहस्यमयी बिल्डिंग रिचर्डसन हाउस पर आधारित है | एक दिन रिचर्डसन हाउस की चारदीवारी के पास एक के बाद एक तीन लाशें पाई जाती हैं जिनकी गर्दन पर नाखूनों के ऐसे गहरे घाव मौजूद थे जैसे किसी राक्षस ने झपट्टा मारा हो | डिटेक्टिव मिथिलेश वर्मा इसकी जांच के लिए रिचर्डसन हाउस में आता है | मिथिलेश अब तक 49 केस सोल्व कर चुका है और ये उसका पचासवां केस है | 

क्या विलियम ही उस कस्बे का नरपिशाच था या कोई और ही रहस्य था वहाँ ?
क्या कबीर दोस्त की शादी में गाँव पहुँच पाया ? क्या छलावा और कबीर की मुलाकात हुई या छलावा सिर्फ एक भ्रम ही था ? 
क्या नीतीश रात में अकेला उस सुनसान डरावने रास्ते को पार करके गाँव पहुंच सका ?
कौन थी शमशान घाट में अकेली बैठी वो लड़की जिस से पंकज इतनी रात को मिला ? 
क्या डिटेक्टिव मिथिलेश वर्मा रिचर्डसन हाउस और उन तीन लाशों की गुत्थी को सुलझा पाया ? 
इन सब सवालों के जवाब आप पुस्तक पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं ! 

पुस्तक में पृष्ठों की संख्या अधिक नहीं है इसलिए पुस्तक एक ही बार में आराम से पूरी पढ़ी जा सकती है | 
कुल मिलाकर पुस्तक औसत है | कहानियों के पात्रों में गहराई की थोड़ी कमी महसूस हुई | 
नरपिशाच कहानी औसत से थोड़ी अच्छी है | छलावा कहानी अच्छी लगी | बाकी तीनों कहानियां साधारण ही लगी | 
प्रूफ रीडिंग अच्छी है और शाब्दिक गलतियां नाम-मात्र ही हैं | 

रेटिंग: 6.5/10

3 टिप्‍पणियां:

  1. रोचक... टिप्पणी... पढ़ने की कोशिश रहेगी...

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  2. एक स्टोरी पढ़ी थी किंडल पर इसकी, थोड़ा सा पढ़ने के बाद मन नही हुआ था इसलिए छोड़ दिया, अब आपका रिव्यु पढा यही एक बार और देखता हूँ।

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