30 नवंबर 2021

आज कत्ल होकर रहेगा - सुरेंद्र मोहन पाठक


उपन्यास : आज क़त्ल होकर रहेगा 
उपन्यास सीरीज : विमल सीरीज
लेखक : सुरेंद्र मोहन पाठक 
पेज संख्या : 217

                          उपन्यास का पुराना कवर

विमल का विस्फोटक संसार - अपनी दर-दर भटकती जिंदगी में सुकून और ठहराव तलाशते सरदार सुरेंदर सिंह सोहल उर्फ विमल की विस्तृत दास्तान का पांचवा अध्याय !!

उपन्यास से लिया गया एक अंश: 
फिर नारंग गला फाड़कर चिल्लाया - “त्रिलोकीनाथ, मेरे साथ दगाबाजी करोगे तो मैं लाश का भी पता नहीं लगने दूंगा ।”
“यह गीदड़ धमकियां किसी और को देना ।” - त्रिलोकीनाथ भी चिल्लाया - “मैं कोई कल का पैदा हुआ लौंडा नहीं जो तुमसे डर जाऊंगा । तुमने मेरी ओर एक उंगली भी उठाई तो मैं तुम्हारी गर्दन कटवाने का सामान कर दूंगा ।” 

                         उपन्यास कवर

पिछले उपन्यास "पैंसठ लाख की डकैती" के अंत में विमल हरनाम ग्रेवाल और कौल को दिल्ली में किरण खन्ना के रहमोकरम पर छोड़कर वहां से निकल जाता है | इस उपन्यास में किस्मत विमल को दिल्ली से निकालकर वापिस एक बार फिर बम्बई ला पटकती है | 

उपन्यास 'आज क़त्ल होकर रहेगा' वर्ष 1977 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था |
अब बात करते हैं इस उपन्यास की कहानी की | उपन्यास आरम्भ होता है बम्बई से कुछ दूर एक उजाड़ समुद्र तट के दृश्य से, जहां एक पुराना पर बर्बाद हो चूका विदेशी घड़ियों का स्मगलर दौलत सिंह छिपकर निजी दुश्मनी के चलते नारंग की निगरानी कर रहा है जो वहां अवैध सोने की डील करने आने वाला है | नारंग भारत का सबसे बड़ा स्मगलर और बम्बई का सबसे बड़ा डॉन है | दौलत सिंह और नारंग के टकराव के चलते परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती हैं कि नारंग को अपने पुराने दोस्त त्रिलोकीनाथ की मदद लेनी पड़ती है | त्रिलोकीनाथ नारंग का ख़ास दोस्त और हाई कोर्ट का वकील है जो नारंग की मुश्किल परिस्थितियों में जरूरत पड़ने पर अक्सर मदद करता है | 
विमल अब एक नए नाम कैलाश मल्होत्रा के साथ त्रिलोकीनाथ के यहां ही क्लर्क की नौकरी कर रहा है | ठीक इसी समयकाल में सरकार आपातकाल लागू कर देती है | बम्बई में जिसे आपातकालीन स्थिति का चीफ बनाया जाता है, वो और उसके चमचे आपातकालीन शक्तियों का उपयोग अपने विरोधियों के खिलाफ करने लगता है | 

"उन ढंके-छुपे जरायमपेशा लोगों के कलेजे कांपने लगे जो यह समझते थे कि उनकी इतनी ऊपर तक पहुंच थी, अपने-आपको कानून की पकड़ से बचाये रखने के उनके इतने साधन थे कि कोई उनकी ओर उंगली नहीं उठा सकता था । ऐसे लोगों में नारंग भी एक था ।
एमरजेंसी क्या आई उसके लिए तो कजा आ गई । पहले तो उसने यही समझा कि दिखावे की छोटी-मोटी धरपकड़ हो रही थी । उस जैसे ऊंचे और साधनसम्पन्न लोगों की तरफ सरकार आंख नहीं उठा सकती थी । लेकिन जब बखिया, हाजी मस्तान और पटेल जैसे टॉप के स्मगलर आन्तरिक सुरक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार करके जेल में डाल दिए गये तो उसके छक्के छूट गये ।"

जब बम्बई के बड़े-बड़े लोग और अपराधी पकडे जाने लगते हैं तो नारंग भी चिंताग्रस्त हो जाता है और त्रिलोकीनाथ से मदद मांगता है | परन्तु त्रिलोकीनाथ ह्रदय परिवर्तन के कारण सरकार के खिलाफ जाने से मना कर देता है और नारंग की मदद नहीं करता | नारंग क्रोधित होकर बदला लेने की धमकी देता है | इन दोनों की लड़ाई में विमल भी बेवजह फंस जाता है | नारंग से बचने के लिए विमल बम्बई से निकलकर गोवा पहुँच जाता है | 

"उसने मन ही मन फैसला किया था कि जो पहली बस बम्बई से बाहर जाने वाली होगी, वह उस पर सवार हो जाएगा ।
वह बस स्टैण्ड पर पहुंचा तो मालूम हुआ कि पांच मिनट में गोवा की बस छूटने वाली थी ।"

गोवा पहुंचते ही संयोग कुछ इस प्रकार बनता है कि विमल को स्थानीय नाईट क्लब सोल्मर का मालिक अल्फांसो अपने क्लब में कैशियर की नौकरी पर रख लेता है | अँधा क्या चाहे दो आँखें - विमल तुरंत ही नौकरी शुरू कर देता है | 
पर उफ़ ये धोखेबाज किस्मत ! विमल को यहां भी चैन नहीं मिलता - मात्र कुछ ही दिनों में घटनाचक्र इतनी तीव्रता से घूमता है कि एक तरफ विमल को गोवा में पहले से ही चल रही गैंगवार की धुरी बनना पड़ जाता है, वहीं दूसरी तरफ नारंग भी उसकी जान के पीछे हाथ धोकर पड़ा होता है |

विमल दिल्ली से निकलकर बम्बई कैसे आ पहुंचा ? 
नारंग और त्रिलोकीनाथ की लड़ाई में विमल कैसे फंस गया ? 
त्रिलोकीनाथ का क्या हुआ ?
विमल को गोवा में अल्फांसो के यहां नौकरी कैसे मिल गई ? 
विमल गोवा की गैंगवार में कैसे फंसा, न सिर्फ फंसा बल्कि धुरी कैसे बन गया ? 
कौन था अल्फांसो ? 
क्या कोहराम मचा गोवा में ?
नारंग से विमल अपनी जान कैसे बचा पाया ? 
इस सारे घटनाचक्र में विमल ने क्या खोया और क्या पाया ? 
इन सब प्रश्नों के उत्तर आपको यह उपन्यास पढ़कर ही मिल पाएंगे |

उपन्यास की कहानी तेज गति से चलती है और नए मोड़ भी लेती है | कहानी मनोरंजक है और पाठकों की उपन्यास में रूचि बनाये रखती है | 
उपन्यास के रीप्रिंट की प्रूफ रीडिंग बढ़िया है | 
पाठकों को पिछले उपन्यासों के मुकाबले इस उपन्यास में काफी किरदारों की उपस्थिति देखने को मिलेगी | 
दौलत सिंह का किरदार कहानी की भूमिका बनाता है जहां से आगे कहानी गति पकड़ती है | अल्फांसो और अल्बर्टो के किरदार अच्छे बन पड़े हैं | विमल का व्यक्तित्व इस उपन्यास में और अधिक निखर कर सामने आता है | नारंग का किरदार भी बढ़िया लगा |
 
रेटिंग: 7.5/10

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