12 दिसंबर 2021

मौत का फरमान - सुरेंद्र मोहन पाठक


उपन्यास : मौत का फरमान
उपन्यास सीरीज : विमल सीरीज
लेखक : सुरेंद्र मोहन पाठक 
पेज संख्या : 162 (किंडल)

विमल का विस्फोटक संसार - अपनी दर-दर भटकती जिंदगी में सुकून और ठहराव तलाशते सरदार सुरेंदर सिंह सोहल उर्फ विमल की विस्तृत दास्तान का सातवां अध्याय !!

                           नया उपन्यास कवर 

पिछले उपन्यास "बैंक वैन रॉबरी" के अंत में विमल इंस्पेक्टर शमशेर सिंह और मीना से अपना हिसाब बराबर करने के बाद जयपुर में ही टिका रहता है और अपना गैराज का काम चालू रखता है | 

उपन्यास "मौत का फरमान" से लिया गया एक छोटा सा अंश:

हर आने वाले दिन मैं उस मोटर मैकेनिक गैरेज में अपने-आपको पहले से ज्यादा सुरक्षित पाता था ।
लेकिन मेरी जिन्दगी में सुरक्षा का क्या काम ! सुख, चैन और इत्मीनान का क्या काम ! वाहे गुरु अपने गुनहगार बन्दों को सुरक्षा, सुख, चैन और इत्मीनान का सांस कहां आने देता है !
इस बार तकदीर ने मुझे ऐसी पटखनी दी कि मेरे होश उड़ गये ।

उपन्यास "मौत का फरमान" की शुरुआत जयपुर में थाने के एक कमरे के दृश्य से होती है जहां पर पुलिस विमल से एक औरत कंचन के रेप और कत्ल के बारे में कड़ी पूछताछ कर रही है | विमल मना करता है पर पुलिस उस पर ये आरोप स्वीकार करने के लिए लगातार दबाव डाल रही है | कोई और चारा न चलता देखकर विमल गोवा में अलफांसो को सहायता के लिए फोन करता है | 

                             ओल्ड उपन्यास कवर

अल्फांसो से बात हो जाने के बाद न जाने क्यों मुझे राहत महसूस होने लगी थी ।
सारी दुनिया में केवल दो ही शख्स थे जिनसे मैं किसी मदद को कोई उम्मीद कर सकता था - गोवा में मैगुअल अल्फांसो और चण्डीगढ में नीलम ।

अलफांसो परिस्थिति की गंभीरता को समझ जाता है और उसी समय अल्बर्टो को विमल की सहायता हेतु जयपुर के लिए रवाना कर देता है | अल्बर्टो जयपुर पहुंचते ही विमल के पास जयपुर के सबसे अच्छे वकील को भेजता है | 

वह आदमी मेरी बगल में बैठ गया और मुस्कराता हुआ बोला - “मेरा नाम ठाकुर कृपालसिंह है । मैं जयपुर का सबसे नामी वकील माना जाता हूं । आपके दोस्त मिस्टर अल्बर्टो ने अदालत में आपके केस की पैरवी करने के लिए मुझे चुना है ।”

इसी बीच पुलिस विमल को वैन में कंचन के कत्ल वाली जगह पर लेकर जाती है पर रास्ते में ही एक खतरनाक अपराधी दिलावर विमल को पुलिस से छुड़वाकर ले जाता है | विमल सोचता है कि अल्बर्टो ने उसे छुड़वाया है पर दिलावर से परिचय होने पर वो हक्का बक्का रह जाता है | दिलावर उससे किसी माल़ के बारे में पूछता है पर विमल कहता है कि उसे कुछ नहीं पता | दिलावर क्रोधित हो उठता है और दोनो एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो जाते है | विमल घायल हो जाता है पर अपनी जान बचाकर निकल जाता है | 

अंधेरा होने तक मैं उन्हीं झाड़ियों में लेटा रहा ।
दिलावर सिंह फिर उस रास्ते वापस नहीं लौटा । लेकिन वह जंगल में कहीं भी हो सकता था । मेरे बहुत पास । मुझसे बहुत दूर ।
अन्त में मैं अपने स्थान से उठा ।

घायल और थका-हारा विमल किसी तरह अल्बर्टो से संपर्क साधता है और उससे मिलकर इस सारे बखेड़े से बाहर निकलने की योजना बनाना आरंभ करता है | जब विमल इस सारे मामले की गहराई में उतरने का प्रयास करता है, तब उसे एहसास होता है कि ये मामला जरूरत से ज्यादा ही खतरनाक है तथा कैसे मौत का साया हर घड़ी उसके और अल्बर्टो के सिर पर मंडरा रहा है | 

“तुमने कहा था, तुम मेरी मदद करोगी । मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है । सख्त जरूरत । फौरन ।”
“क्या हो गया है ?”
“मुझे... मुझे गोली लग गयी है ।” - मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया - “और इस शहर में मेरा कोई मददगार नहीं ।”

एक तरफ पुलिस से पकड़े जाने का खतरा, दूसरी तरफ दिलावर, तीसरी तरफ कंचन के कत्ल की गुत्थी और उससे जुड़ा हुआ अनजाना खतरा - विमल इन सबमें उलझता ही चला जाता है |

कौन थी कंचन और क्यूं हुआ उसका कत्ल? 
विमल कैसे फंस गया कंचन के कत्ल के जुर्म में? 
क्या पुलिस को विमल की असलियत पता चल सकी? 
कौन था दिलावर और किस माल के लिए विमल के पीछे लगा था? 
कौनसा अनजाना खतरा विमल के सिर पर मंडरा रहा था? 
क्या अल्बर्टो विमल की कोई सहायता कर पाया या खुद भी उस अनजाने खतरे में फंस गया? 
इस सारे घटनाक्रम के लिए कौनसे लोग जिम्मेदार थे?
क्या विमल इन सारी गुत्थियों को सुलझा पाया? 
क्या इस बार विमल को कोई सच्ची सहायता प्राप्त हो सकी या वो अकेला ही इन सारे खतरों से जूझता रहा? 

इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपके लिए इस उपन्यास में उपलब्ध हैं |

यह उपन्यास वर्ष 1978 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था । 
उपन्यास के रीप्रिंट एडिशन में शाब्दिक गलतियां बेहद कम हैं जिससे कहानी धाराप्रवाह बनी रहती है |

विमल का पात्र जहां पिछले उपन्यास में सामान्य ही लगा था वहीं इस उपन्यास में विमल जबरदस्त संघर्ष करता हुआ दिखाया गया है जो कि बढ़िया लगा | अन्य पात्रों में अल्बर्टो और शीतल महत्त्वपूर्ण और बेहद दिलचस्प लगे । दिलावर सिंह, कंचन, महिपालसिंह और रूप सिंह शेखावत के पात्र भी अच्छे बन पड़े हैं । 
एक चीज और इस उपन्यास में अलग लगी - पिछले अधिकांश उपन्यासों में विमल को मजबूरीवश लूट या डकैती में शामिल होना पड़ता था पर इस बार उपन्यास का कथानक अलग था ।
कहानी बढ़िया, मनोरंजक और घुमावों से परिपूर्ण है । कहानी में लगभग हर थोड़े अंतराल पर विमल लगातार नए हालातों से जूझता नजर आता है जिस कारण एक बार तो विमल से हमदर्दी का एहसास भी होने लगता है | 
पिछले उपन्यास के मुकाबले यह उपन्यास अधिक पठनीय और रोचक लगा | मेरी राय में इस उपन्यास को एक बार जरूर पढ़ें और कहानी का आनंद उठाएं ।
 
आप कमेंट्स के द्वारा अपनी राय से हमें अवगत करवा सकते हैं |
 
रेटिंग: 7.5/10

3 टिप्‍पणियां:

  1. विमल सीरीज का एक बहुत ही अच्छा उपन्यास है। तेज रफ्तार कहानी इस उपन्यास की जान है।अच्छे उपन्यास के रिव्यू के लिए आपको बहुत बहुत थैंक्स......

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  2. Bhuhut hi achhi samiksha ek baar mein ye novel padhne ka man ban jaye shayad is prakar ke novel ke karan Vimal series hit huyi

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  3. A beautiful and well written novel. I liked it a lot. Good review.

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