10 जुलाई 2021

मायाजाल - राज भारती

उपन्यास: मायाजाल

लेखक: राज भारती जी

पेज संख्या: 440

प्रिंट रेट: 399 रुपये

प्रकाशक: धीरज पॉकेट बुक्स (मेरठ) तथा अजय पॉकेट बुक्स (दिल्ली)


"मायाजाल एक उपन्यास नहीं एक ख्वाब है |

ऐसा ख्वाब जिसे देखते देखते इंसान आतंकित और भयभीत हो उठ बैठे..

पर फिर देखने की आस में आँखें बंद कर ले.."


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मायाजाल उपन्यास एक वृहद् फैंटसी सीरीज "अग्निपुत्र सीरीज" का प्रथम उपन्यास है और काफी साल पहले लिखा गया था, इसलिए नए पाठकों की जानकारी के लिए यहां बताना चाहूंगा कि राज भारती जी ने अग्निपुत्र सीरीज की रचना एक ऐसे किरदार 'अग्निपुत्र' को केंद्र में रखकर की थी जो कि उपन्यास जगत में सामान्यतया प्रस्तुत किए गए अन्य मुख्य नायकों से अलग है | 

इस उपन्यास को धीरज पॉकेट बुक्स (मेरठ) तथा अजय पॉकेट बुक्स (दिल्ली) द्वारा संयुक्त रूप से दुबारा प्रकाशित किया गया है | राज भारती जी ने अग्निपुत्र सीरीज में लगभग 70 उपन्यास लिखे हैं जिनकी सूची आप इसी ब्लॉग पर पोस्ट "राज भारती (प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार)" में देख सकते हैं |


अब आते हैं उपन्यास की कहानी पर | कहानी आरम्भ होती है एक हवाई जहाज में निश्चिन्त बैठे यात्रियों के दृश्य से जिनकी यात्रा एक घंटे में पूरी होने वाली है | अचानक एक बहुत ही भयानक तूफ़ान हवाई जहाज को अपने आगोश में ले लेता है जिससे बचना लगभग असंभव होता है | 

जहाज का एक पायलट अपने साहस से जहाज को किसी तरह तूफ़ान से बाहर निकाल लेता है पर जहाज एक बेहद वीरान बर्फीले क्षेत्र में बुरी तरह से क्रैश हो जाता है | क्रैश में कुछ यात्री एवं विमान परिचारिकाएं भी मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं |

यहां से शुरू होता है इन बचे हुए जहाज कर्मियों और यात्रियों का बर्फीली मृत्यु के साथ लम्बा जानलेवा संघर्ष जो इस वीरान और बेहद ठंडे इलाके में हर तरफ मुंह फैलाये खड़ी थी | 

यात्री प्रोफेसर दयाल और उनकी 2 सुंदर-सुशील बेटियाँ बाला और कविता कड़े संघर्ष के बाद किसी तरह मौत के जबड़े से बाहर निकल तो आते हैं पर इस अनजान, सुनसान और बर्फीले क्षेत्र में जिंदगी की उम्मीद अभी भी उन्हें कहीं नजर नहीं आती है | 

कुछ और मेहनत के बाद प्रोफेसर दयाल आखिरकार उस सुनसान क्षेत्र में एक पीने लायक पानी का झरना और एक ऐसी जगह ढूंढ लेता है जो देखने में बाहर से तो ठीक-ठाक पर अंदर से सुरंग जैसी होती है | अंदर प्रवेश करते ही प्रोफेसर और उसकी बेटियां उस सुरंग को अंदर से साफ़-सुथरी और सजी-धजी देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं | परन्तु वहां एक शीशे के ताबूत में एक विचित्र से सुनहरे रंग के आदमी को सोया देखकर तो वो लोग बुरी तरह से चौंक पड़ते हैं | प्रोफेसर किसी तरह से इस सुनहरी रंग वाले इंसान को गहरी नींद से जगाने में सफल हो जाता है |


!! जी हाँ, ये विचित्र से सुनहरी रंग वाला इंसान ही तो है अग्निपुत्र !!

परन्तु....

कौन है अग्निपुत्र ?

क्यों गहरी नींद में सो रहा था अग्निपुत्र ?

क्या परिणाम हुआ प्रोफेसर द्वारा अग्निपुत्र को गहरी नींद से जगाने का ?

क्या थी अग्निपुत्र की गाथा ?

क्या-क्या रहस्य थे अग्निपुत्र की गुफा में जिन्होंने प्रोफेसर दयाल और उसकी पुत्रियों को स्तब्ध कर दिया था ?

क्या परिणाम हुआ था हवाई जहाज के यात्रियों के संघर्ष का, उस सुनसान बर्फीले क्षेत्र में ?

किस तरह से पायलट्स ने यात्रियों को बचाया था उस भयानक तूफ़ान से ?

इन सब प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए आपको राज भारती जी के रचे हुए मायाजाल में प्रवेश करना होगा |


कुल मिलाकर उपन्यास की कहानी अच्छी लगी | अगर आपको भी फैंटसी उपन्यास पढने में दिलचस्पी है तो एक बार इस उपन्यास को जरूर पढ़कर देखें |

तूफ़ान और हवाई जहाज के क्रैश के दृश्य, पायलट्स की सूझ-बूझ, मीलों तक फैली बर्फ में यात्रियों का मानसिक अंतर्द्वंद, प्रोफेसर दयाल की नेतृत्व क्षमता, अग्निपुत्र की रहस्मयी कहानी, लेखक द्वारा उपन्यास में पुराने और ऐतिहासिक दृश्यों का विवरण कई जगहों पर अच्छा बन पड़ा है | अग्निपुत्र का किरदार उत्सुकता पैदा करता है |

उपन्यास की प्रूफ रीडिंग अन्य उपन्यासों के मुकाबले बेहतर है और शाब्दिक गलतियां कम ही हैं | जो थोड़ी बहुत गलतियां है वो भी उपन्यास को पढ़ने में कोई अधिक रुकावट पैदा नहीं करती हैं |

 

रेटिंग: 9/10


6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर समीक्षा और जानकारी सुनील जी........ अपना समीक्षा और जानकारियाँ देने का प्रयास जारी रखे......... 👍👍👍👍👍👍👍👍

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  2. अपनी समीक्षा बहुत अच्छा लिखा है
    बर्फीले मंजर का सटीक वर्णन है की बुक पढने की इच्छा जाग उठी है

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  3. बहुत ही बेहतरीन कहानी है इस उपन्यास की

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  4. आपने बहुत ही सुंदर और सार्थक विवेचना की है ।वाकई में मायाजाल मानव सभ्यता की विकास यात्रा की महागाथा है ।आपको कोटिशः धन्यवाद ।

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  5. समीक्षा ही इतनीं रोचक है कि इसे पढ़ने के बाद नावेल पढ़े बिना नही रहा जा सकता।

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