11 मई 2022

धमाकों का शहर - राज


उपन्यास: धमाकों का शहर
लेखक: राज
पेज संख्या: 272 
प्रकाशक: राजा पॉकेट बुक्स

हमारे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार "राज" नाम राजा पॉकेट बुक्स द्वारा रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क था। किसी प्रेत लेखक द्वारा ये उपन्यास लिखे जाते थे और फिर राजा पॉकेट बुक्स द्वारा "राज" नाम से प्रकाशित किए जाते थे। 

         उपन्यास का कवर 

उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से लिया गया एक छोटा सा अंश: 

*कुछ मुल्कों की तो सरकारें तक उससे आतंकित थी। कहीं-कहीं उसने अपनी जड़ों को इतनी गहराई तक पहुंचा दिया था कि वहां की सरकारें उसके रहमोकरम पर थी।
वहीं कुख्यात हस्ती उस समय हिंदुस्तान में पड़ाव डाले हुए थी।
यहां भी उसके आपराधिक निजाम की जड़ें काफी गहराई तक पहुंची हुई थी।* 

उपन्यास का आरंभ होता है अंडरवर्ल्ड के बादशाह अम्बा और मंत्री जयंती प्रसाद की मुलाकात के दृश्य से जिसमे जयंती प्रसाद अपनी सेक्रेटरी अर्चना गोखले के साथ एक सहायता प्राप्त करने के लिए अम्बा के पास आता है। अम्बा उसे एक योजना बताता है जिससे उसका काम हो जाए। जयंती प्रसाद और अम्बा दोनों योजना के क्रियान्वन में लग जाते हैं। 

*उसके हाथ में एक रोल किया हुआ कागज था। 
*वह अम्बा के सामने सिर झुकाकर खड़ा हो गया।
"टोनी!"
"यस बॉस!"
"मंत्रीजी को अपनी स्कीम समझाओ।" अम्बा ने आदेश दिया।...*

इधर एक अन्य जगह पर विवेक नंदी नाम का एक कैश कलेक्टर अपने बॉस जसराज मथानी के पास रोज की तरह पैसा जमा करवाने आता है पर बीस हजार रुपए कम निकलने पर मथानी क्रोधित हो उठता है। मथानी उसे रुपया वापस करने के लिए 24 घंटे की अवधि देता है। डरा हुआ विवेक रुपया प्राप्त करने की कोशिशों में लग जाता है मगर इसी बीच कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिससे विवेक नंदी की दुनिया ही उजड़ जाती हैं। 

*...चारों ओर का काफी बड़ा इलाका मानवरहित हो चुका था और उस मानवरहित इलाके में विनोद नंदी अकेला था।
वह उस ओर ही दौड़ रहा था जहां साक्षात मौत तांडव कर रही थी। 
लोग उससे दहशत खाकर भाग रहे थे, वह उसी ओर जा रहा था।*

वहीं रिसर्च एनालिसिस विंग (रॉ) की स्पेशल ब्रांच के ऑफिस में डायरेक्टर जयंत रमन्ना को देश पर मंडरा रहे एक गंभीर खतरे की सूचना मिलती है। वो अपने सबसे विश्वसनीय और योग्य एजेंट अजीत विश्वकर्मा को उसी समय मीटिंग के लिए बुला डालते हैं। पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद रमन्ना और अजीत विश्वकर्मा मिलकर एक प्लान बनाते हैं। फिर अजीत विश्वकर्मा इस खतरे को समाप्त करने के लिए एक गुप्त मिशन पर तुरंत ही पाकिस्तान के लिए रवाना हो जाता है ताकि वो उस खतरे का खत्म कर सके। परंतु घटनाक्रम कुछ इस तरह से आगे बढ़ता है कि अजीत और रमन्ना के साथ-साथ बाकी सब लोग भी खतरे में पड़ जाते हैं और सबकी जान पर बन आती है । 

*"मेरी भरसक कोशिश होगी सर कि" - विश्वकर्मा ने कहा - "मैं आपके विश्वास की रक्षा कर सकूं।"
"मगर यह काम उतना आसान नहीं है मिस्टर विश्वकर्मा" - रमन्ना ने गंभीर स्वर में कहा - "इसमें खतरे कदम-कदम पर तुम्हारा स्वागत करेंगे।"*

जयंती प्रसाद को ऐसी क्या सहायता चाहिए थी अम्बा से? 
क्या खतरनाक योजना थी अम्बा की? 
ऐसा क्या घटित हुआ था जिसने विवेक नंदी की दुनिया ही उजाड़ दी? 
डायरेक्टर जयंत रमन्ना को किस गंभीर खतरे की सूचना मिली थी? 
अजीत विश्वकर्मा को तुरंत किस मिशन पर निकलना पड़ा? 
क्या अजीत का मिशन सफल हो सका? 
ऐसा क्या हुआ कि सबकी जान खतरे में पड़ गई? 
क्या अजीत को किसी प्रकार की मदद प्राप्त हो पाई? 
इस सारे घटनाक्रम में कौन बचा और किसे अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी? 
क्या हुआ जयंती प्रसाद और अम्बा का? 
इन सब प्रश्नों के उत्तर आप इस उपन्यास को पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं। 

इस उपन्यास में मुख्य पात्र अजीत विश्वकर्मा है। विश्वकर्मा के अलावा अम्बा, जयंती प्रसाद, अर्चना गोखले, विनोद नंदी, मथानी, अखिलेश नंदी, स्वाति नंदी, सुलेमान कसूरी, दिलावर खान, चंपा, जयंत रमन्ना, कंचन जोशी, जाहिदा मालिक, डॉक्टर हैदर, असलम खान, मेजर अंसारी, रशीद, अजरा जैसे पात्र उपन्यास में मिलेंगे। 

मुझे मुख्य पात्र अजीत विश्वकर्मा की भूमिका ठीक-ठाक लगी। जयंत रमन्ना का किरदार अच्छा लगा। अन्य सहायक पात्रों में स्वाति नंदी, कंचन जोशी, सुलेमान कसूरी और जाहिदा सही लगे। 

उपन्यास की कहानी कुल मिलाकर साधारण ही लगी। लेखक ने कहानी को घुमावदार बनाने की कोशिश तो की है पर सफल नहीं हो पाए। कहानी नॉन-स्टॉप एक्शन से भरपूर है और कहीं-कहीं द्विअर्थी संवादों का भी उपयोग किया गया है। 
कुछ कमियां कहानी को कमजोर बना देती हैं जैसे कि पूरे शहर की संपूर्ण व्यवस्था को ही ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट और लाचार दिखा देना, पुलिस तथा सभी जांच एजेंसियों का बेखबर सोए रहना और फिर अचानक जाग उठना, घटनाओं के तालमेल में गड़बड़ इत्यादि! 

उपन्यास की प्रिंटिंग गुणवत्ता सही है और शाब्दिक गलतियां भी कम हैं।

अगर आपको अच्छी कहानी से अधिक रुचि नॉन-स्टॉप एक्शन एवं कुछ द्विअर्थी संवाद पढ़ने में है तो ये उपन्यास आपके लिए कुछ हद तक मनोरंजक हो सकता है अन्यथा निराशा होने की संभावना ही अधिक है।

कमेंट्स के द्वारा अपने विचारों से अवश्य अवगत करवाएं। हमे आपके विचारों का इंतजार रहेगा।

रेटिंग: 5/10

3 टिप्‍पणियां:

  1. राज कॉमिक्स की वेबसाइट पर जब उपन्यास मिला करते थे तो वहां से ट्रेडमार्क लेखकों के काफी उपन्यास मंगवाए थे। ये भी एक बार पढ़ा जा सकने वाला उपन्यास लग रहा है। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. राज के उपन्यास एक बार मे पठनीय है ,
    खासकर जैसमीन वाले,
    अब ये धमाकों का शहर फिर से रीड करता हु ,
    बहुत पहले किया था सुनील भाई जी ने पुराने दिन याद दिला दिए,
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. इस लेखक के उपन्यास कभी नही पढ़े। अब सुनील जी ने इनसे परीचय करवा ही दिया है तो एक बार जरूर पढूंगा। चेंज के लिए एक्शन पढ़ते हैं।

    जवाब देंहटाएं