14 मई 2022

एक साथ तीन प्रेत - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा

लघु उपन्यास : एक साथ तीन प्रेत 
लेखक : जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा 
श्रेणी : जासूसी एंव भूत-प्रेत
पृष्ठ संख्या : 67
प्रकाशक : राधा पॉकेट बुक्स

यह लघु उपन्यास लेखक के "भाभी" उपन्यास में प्रकाशित हुआ था। उपन्यास के कथानक सूत्र के अनुसार जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा ने अपने एक पुराने रिटायर्ड मेजर मित्र सूरतवाला से सुनी हुई मेरठ छावनी की वर्षों पुरानी किवदंतियों के आधार पर इस लघु उपन्यास की रचना की है। 

उपन्यास के प्रारंभ से लिया गया एक छोटा सा अंश: 
 सुबह की सैनिक परेड छः बजे आरंभ होती थी और बिगुलवादक पहला बिगुल 5 बजे अपने घर की छत से ही बजाता था। फिर वह बिगुल सहित उस स्थान पर पहुंच जाता जहां बहुत पहले 1857 में उन अंग्रेजों के स्मारक थे और आज रेलवे लाइन पटरी है। 

कहानी कुछ इस प्रकार शुरू होती है कि एक सुबह एक जंगली भैंसा छावनी में अंग्रेज मेजर रॉबसन के बंगले के अहाते की दीवार तोड़कर फुलवारी को नष्ट करने लगता है। मेजर रॉबसन भैंसे को बंदूक से गोलियां मारकर खत्म कर देता है। अगली सुबह सैनिक परेड के निर्धारित समय पर बिगुलवादक बिगुल बजाकर परेड मैदान में बने अंग्रेजों के स्मारक वाले चबूतरे पर बैठ जाता है। अचानक एक पागल जंगली भैंसा उस पर आक्रमण कर देता है। बिगुलवादक घबराकर भागता है। तभी सामने से मेजर रॉबसन घोड़े पर आता है और जंगली भैंसे का सामना करता है। लड़ाई के दौरान क्रुद्ध भैंसा मेजर रॉबसन, बिगुलवादक और घोड़े को खत्म कर देता है। 

बिगुलवादक को रौंदते हुए भैंसे ने घोड़े पर अपने सींगों से वार करते हुए घोड़े का पेट फाड़ दिया। घोड़ा गिरा साथ ही रॉबसन भी।
और परिणाम...! 
तलवार के कुछ वार से भैंसा घायल तो अवश्य हुआ, परंतु उसने तीन जान ले लीं। 

मेजर रॉबसन की जवान और खूबसूरत पत्नी एवलिन यह समाचार सुनते ही बेहोश हो जाती है। छावनी का द्वितीय सीनियर अफसर कैप्टन नेल्सन पादरी को बुलाकर मेजर रॉबसन और बिगुलवादक को कब्र में दफनाने का प्रबंध करवाता है। परंतु अगली ही रात उनकी कब्रें हुई खुदी मिलती हैं। परेशान नेल्सन कब्रें ठीक करवाकर वहां 25 सैनिकों का पहरा लगा देता है। इधर अचानक एवलिन का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है और दिनोंदिन उसका चेहरा पीला पड़ने लगता है। डॉक्टर को एवलिन की बिगड़ती हालत का कारण समझ नहीं आ पाता। 

 ...साथ ही दवा के रूप में टानिक भी देता था। परंतु एवलिन पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था, डॉक्टर ने नोट किया कि उसके चेहरे का पीलापन कम नही हो रहा था और कम हो रहा था उसका वजन। 

दो माह बाद कलकत्ता से जॉर्ज साइमन मेरठ छावनी में मेजर रॉबसन का स्थान लेने के लिए आता है। साइमन मेजर रॉबसन का भाई होता है। छावनी का कार्यभार संभालते ही वो एवलिन से मिलता है। जब एवलिन साइमन को अपनी बुरी दशा का कारण बताती है तो वो हैरान रह जाता है। साइमन ये भी देखता है कि नेल्सन और छावनी के सारे सैनिक अक्सर थके-थके से रहते हैं। नेल्सन से इसका कारण जानकर उसका दिमाग घूम जाता है। उसे समझ ही नहीं आता कि किस बात को माने और किस बात को नहीं! वो तुरंत एवलिन की सुरक्षा का और साथ ही फादर जेफरसन को छावनी में बुलवाने का प्रबंध करता है। 

जंगली भैंसे ने मेजर रॉबसन, बिगुलवादक और घोड़े को कैसे मार गिराया? 
मेजर रॉबसन और बिगुलवादक की कब्रें किसने खोदीं? 
एवलिन का स्वास्थ्य दिनोंदिन कैसे बिगड़ने लगा?  
नेल्सन और छावनी के सारे सैनिक थके हुए क्यों रहते थे? 
एवलिन और नेल्सन ने ऐसा क्या बताया कि साइमन स्तब्ध रह गया? 
कौन थे फादर जेफरसन? 
साइमन ने फादर जेफरसन को छावनी क्यों बुलाया? 
आखिर क्या रहस्य था इस सारे घटनाक्रम के पीछे? 
क्या साइमन, नेल्सन और फादर जेफरसन मिलकर इस गुत्थी को सुलझा पाए? 
इन सब प्रश्नों के उत्तर आप इस उपन्यास को पढ़कर ही प्राप्त कर पाएंगे। 

पात्रों की बात करें तो इस उपन्यास में मेजर रॉबसन, एवलिन, बिगुलवादक, कैप्टन नेल्सन, डॉक्टर जेम्स, जॉर्ज साइमन, फादर जेफरसन, दुर्गा बाबू, रामचंद्र, शंकर सिंह, संन्यासी जैसे पात्र पढ़ने को मिलते हैं। 
साइमन, फादर जेफरसन, नेल्सन और संन्यासी के पात्र मुझे काफी अच्छे लगे। अन्य सहायक पात्र अपनी जगह सही रहे।

मुझे कहानी पढ़ने में बहुत रोचक लगी। कहानी में जासूसी और भूत-प्रेत धाराओं का सम्मिश्रण बढ़िया बन पड़ा है। पात्रों का ताल-मेल भी लेखक ने अच्छा बनाए रखा है। आप एक बार इस लघु उपन्यास को जरूर पढ़ें।

कमेंट्स के द्वारा अपने विचारों से अवश्य अवगत करवाएं। हमे आपके विचारों का इंतजार रहेगा।

रेटिंग: 8.5/10

2 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन नोवल है ये जनप्रिय का 94 में रीड किया था अब 1 बार और,बेहतरीन शब्द चयन सुनीलजी,उत्तम समीक्षा

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  2. बहुत ही रोमांचक प्रतीत होता है यह उपन्यास तो। कहानी बहुत ही मजेदार लग रही। अब तो ये उपन्यास पढ़कर ही चैन आयेगा। सुनील जी आपकी रिव्यु को पढ़ने के बाद हर एक उपन्यास ही रोमांचक लगने लगता है। भूत प्रेत से सम्बंधित कहानियां हमेशा ही एक अलग रोमांच पैदा करती हैं। वाह जी

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