05 जनवरी 2022

खाली वार - सुरेंद्र मोहन पाठक


उपन्यास : खाली वार 
उपन्यास सीरीज : विमल सीरीज
लेखक : सुरेंद्र मोहन पाठक 
पेज संख्या : 338 (किंडल)

                              उपन्यास कवर

विमल का विस्फोटक संसार - अपनी दर-दर भटकती जिंदगी में सुकून और ठहराव तलाशते सरदार सुरेंदर सिंह सोहल उर्फ विमल की विस्तृत दास्तान का दसवां अध्याय !!

जैसा कि हमने पिछले पोस्ट में सूचित किया था - यह कहानी दो उपन्यासों की श्रृंखला में लिखी गई है। कहानी "असफल अभियान" उपन्यास से शुरु होती है और "खाली वार" उपन्यास में समाप्त होती है। 

                                उपन्यास कवर 

पिछले उपन्यास "असफल अभियान" के अंत तक विमल अपहरण की योजना की तैयारियां पूरी कर लेता है। अपहरण को राजनीतिक रंग देने के लिए विमल 'होलीमा लिब्रेशन फ्रन्ट' नामक दल से समझौता भी कर लेता है। विमल का एक साथी महेंद्रनाथ थोड़े से पैसों के वक्ती लालच में आकर एक पुराने ग्राहक चार्ली को ड्रग्स सप्लाई करने के लिए मान जाता है परंतु पुलिस इंस्पेक्टर बंसल द्वारा पकड़ लिया जाता है। महेंद्रनाथ किसी तरह बच तो निकलता है पर ड्रग्स न मिलने के कारण चार्ली महेंद्रनाथ पर क्रोधित हो जाता है।

उपन्यास "खाली वार" से लिया गया एक छोटा सा अंश :
मोटरसाइकल सवार सड़क पर एक बड़ी ही असंभव मुद्रा में पड़ा था और यूं लगता था कि या तो उसकी गरदन टूट गई थी और या वह मर ही गया था ।
सुनामसिंह के छक्के छूट गए । 
सालों हो गए थे उसे गाड़ी चलाते लेकिन वह पहला मौका था जब उससे कोई घातक एक्सीडेंट हुआ था ।
लेकिन शायद वह मरा न हो उसके दिल से पुकार उठी ।

इस उपन्यास की शुरुआत होती है अमेरिकन एम्बेसी की इमारत के दृश्य से, जहां सिडनी फोस्टर को रोज की तरह ड्राइवर सुनाम सिंह कार में बिठाकर कार्यालय के लिए लेकर जाता है। यही वो दिन है जो विमल ने फोस्टर का अपहरण करने के लिए निर्धारित किया होता है। कई बाधाओं का सामना करते के पश्चात विमल और उसके साथी अन्ततः फोस्टर का अपहरण कर लेते हैं और उसे अपने साथ निकाल ले जाने में सफल हो जाते हैं। उधर चार्ली भी महेंद्रनाथ से अपना पैसा पाने के लिए तड़प रहा होता है। 
फोस्टर के अपहरण की खबर आग की तरह फैल जाती है। ये खबर सुनकर अमेरिकन एम्बेसी भी परेशान हो जाती है। इंस्पेक्टर प्रभुदयाल तुरंत रामसिंह और अन्य पुलिस दल-बल के साथ काम पर लग जाता है। खबर मिलते ही सुनील भी अपहरण वाले घटनास्थल पहुंच जाता है। परंतु पुलिस से कुछ विशेष जानकारी न मिलने के कारण सुनील स्वयं स्वतंत्र छानबीन करना शुरू कर देता है। 

"किस्सा क्या है ?”
व्हिस्की और सिगरेट की चुस्कियों के बीच सुनील ने संक्षेप में सारी बात बताई ।
“कमाल है !” अन्त में रमाकांत सख्त हैरानी के साथ बोला - “किडनैपिंग की इतनी सनसनीखेज घटना के लिए वह
डकैत जिम्मेदार है ?”

विमल, जगमोहन और उसके साथी अपहृत सिडनी फोस्टर को शहर के बाहर अपनी ढूंढी हुई एक सुरक्षित जगह पर छुपा देते हैं। समझौते के तहत विमल 'होलीमा लिब्रेशन फ्रन्ट' दल से बात करके फोस्टर को उनके बताए हुए अड्डे पर पहुंचाने का उपाय करने लग जाता है और साथ ही फिरौती की रकम प्राप्त करने की कोशिश में लग जाता है। पर इधर थोड़े समय में ही पुलिस को पता लग जाता है कि अपहरण की वारदात में विमल और उसके साथियों का हाथ है। 

तभी एकाएक बहुत तेज रफ्तार से चलती पुलिस की एक जीप वहां पहुंची | जीप ऐन गैरेज के सामने आकर रुकी और उसमें से एक सबइन्स्पेक्टर और कई पुलिसिये बाहर निकलने लगे | 
तभी पुलिस की दो और जीपें जैसे हवा में उड़ती हुई वहां पहुंची | पहले से रूकी जीप के समीप आकर जब वे रूकीं तो ब्रेकों की चरचराहट से वातावरण गूंज उठा ।

इसके बाद घटनाचक्र बेहद खतरनाक रूप ले लेता है और इतनी तीव्र गति से घूमता है कि विमल और उसके साथियों के समक्ष एक के बाद एक परेशानियां आ खड़ी होती हैं! इससे पहले कि वो लोग उन परेशानियों का कोई हल निकाल सके, विमल की सोच के विपरीत उसके मुख्य पांसे न सिर्फ उल्टे पड़ने लगते हैं बल्कि विमल खुद भी मृत्युशैया पर पहुंच जाता है।

फोस्टर को किडनैप करने में विमल को क्या बाधाएं आई? 
ऐसी कौनसी सुरक्षित जगह थी जहां विमल ने फोस्टर को छुपाया? 
सुनील घटनाओं के सूत्र आपस में कैसे जोड़ पाया? 
पुलिस को इतनी शीघ्र कैसे पता लगा कि विमल ने ही अपहरण किया है? 
अमेरिकन एम्बेसी क्यों परेशान थी फोस्टर के अपहरण को लेकर? 
होलीमा लिब्रेशन फ्रंट असल में क्या चाहता था? 
आखिर ऐसा क्या घटित हुआ कि योजना में सफलता पाने की जगह विमल मृत्युशैय्या पर पहुंच गया? 
सुनील और विमल के बीच आखिर ऐसा क्या वार्तालाप हुआ जो कि सबकी उम्मीदों से परे था? 
क्या हुआ जगमोहन और विमल के अन्य सहयोगियों का? 
इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस उपन्यास को पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं।

अब बात करते हैं कहानी के बारे में! कुल मिलाकर कहानी बहुत बढ़िया है और पृष्ठ संख्या भी अधिक है। उपन्यास रोमांचक होने के साथ भावनात्मक भी है। 
कहानी में शुरू से लेकर अंत तक विमल ही सारी योजना का मुखिया रहता है। साथ ही विमल को एहसास होता है कि मुखिया बनकर काम करना और सहयोगियों से सही काम करवाना कितना कठिन है। 
कहानी का अंत शानदार और मार्मिक है। कहानी के अंत में सुनील और विमल के बीच का वार्तालाप भावुक कर देता है और विमल के प्रति मन में सहानुभूति का गहरा एहसास होता है। पुलिस अधिकारी भी इस उपन्यास में अच्छी गति से काम करते दिखाए गए हैं। 

कहानी में जगमोहन का विमल के साथ योजना पर मिलकर काम करना और विमल के प्रति गहन समर्पण भी बेहद अच्छा लगा। 
“नहीं ।” जगमोहन दृढ स्वर में बोला “यह नहीं हो सकता। अगर मैं तुम्हारे सुख का साथी था तो मैं तुम्हारे दु:ख का भी साथी रहूंगा ।”

सुनील और प्रभुदयाल के पात्र बढ़िया लगे - खासकर उनकी आपस में बहस। छानबीन के दौरान विमल और प्रभुदयाल का वार्तालाप रोमांचक लगा। 
अन्य सहायक पात्र अपनी जगह पर सही लगे। पिछले उपन्यास में महेंद्रनाथ का पात्र उपयुक्त नहीं लगा था पर इस उपन्यास में सही लगा। 
पूरी कहानी पढ़ने के बाद डियाना फोस्टर से भी सहानुभूति हुई। चार्ली भी कहानी में एक महत्त्वपूर्ण पात्र है। आप नीलम से एक बार फिर मिलेंगे इस उपन्यास में!

कहानी में कमी ये लगी कि कई स्थानों पर वार्तालाप को जरूरत से ज्यादा लंबा खींचा गया है। साथ ही कुछ स्थानों पर ऐसी चीजों या ऐसी जगहों का वर्णन किया गया है जिसकी जरूरत नहीं थी। 

यह उपन्यास वर्ष 1981 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। उपन्यास का रीप्रिंट एडिशन साफ-सुथरा और लगभग त्रुटिरहित है ।

मेरी राय में सुरेंदर मोहन पाठक की लेखनी से निकली ये कहानी विमल सीरीज की सबसे अच्छी कहानियों में से एक है इसलिए दोनों उपन्यास "असफल अभियान" और "खाली वार" एक बार अवश्य पढ़ें। 

कमेंट्स के द्वारा अपनी राय से हमें अवश्य अवगत करवाएं | हमे आपकी बहुमूल्य राय का इंतजार रहेगा ।
 
रेटिंग: 8.5/10

4 टिप्‍पणियां:

  1. विमल सीरीज के ये दो उपन्यास , पल्प फिक्शन में मील के पत्थर है।
    पहली बार पुराने समय मे जितने पन्नो की कहानी अमूमन लिखी जाती थी, उससे दुगुने पन्नो की कहानी लिखी गयी।
    इन दोनों उपन्यासों ने पल्प फिक्शन में पाठक साहब को लेखक के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्धि दिलाई। एवम यही दोनों उपन्यास थे जिनके बाद लुगदी उपन्यासों के रेट अचानक से बढ़ गए

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  2. टॉप पसंदीदा उपन्यासों में से एक ��������
    विस्तृत विचार मुझे अच्छे लगे, मैंने तो नॉवेल कई बार पढ़ा हुआ है, लेकिन नए पाठक के लिए यह आलेख full of spoilers प्रतीत हो रहा है ����

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  3. sahi kaha ye smp ki kalam se nikale sabse achhi stories mein se ek hai
    Ramakant ,sunil aur prabhu dayal ki baate bhi mazedar hai
    Vimal sunil ke office aa jata hai par sunil jankar bhi us ko nahi pakadwata
    Vimal ke karnaame bhi jordar hai is novel mein

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  4. Wow! Good review. Vimal series is very famous novel series by SMP and this novel is also very good.

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