15 जनवरी 2022

हाईजेकर - अनिल मोहन


उपन्यास : हाइजैकर 
उपन्यास सीरीज : देवराज चौहान सीरीज 
लेखक : अनिल मोहन 
पेज संख्या : 336 
                                     उपन्यास कवर

उपन्यास से लिया गया एक अंश:
देवराज चौहान ने सिग्रेट सुलगाई और कश लेकर शांत स्वर में कह उठा - "मैं पहले ही इंकार कर चुका हूं कि मैं कोई काम करने के मूड में नहीं हूं।"
लुकास मुस्करा पड़ा। बोला - "मुझे तुम जैसे लोग पसंद हैं।" इसके साथ ही वो उठा और गाउन की जेब से रिवॉल्वर निकालकर जगमोहन के पास पहुंचा और उसके सिर पर रिवॉल्वर की नाल लगाकर मीठे स्वर में कह उठा - "अब क्या इरादा है देवराज चौहान?"
देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ी। 
जगमोहन के दांत भिंच गए।
जेम्स वर्ली हड़बड़ाकर कह उठा....

कहानी की शुरुआत होती है ग्रीस के एक नाइट क्लब के दृश्य से जहां देवराज चौहान और जगमोहन आनंदमय शाम बिता रहे हैं। अचानक देवराज की वहां एक पुराने परिचित जेम्स वर्ली से मुलाकात होती है। जेम्स देवराज को अपने बॉस लुकास से मिलने का अनुरोध करता है जो कि संयोग से इसी नाइट क्लब का मालिक होता है। मुलाकात के दौरान लुकास देवराज को एक काम करने के लिए कहता है पर देवराज मना कर देता है। लुकास गुस्से में आकर जगमोहन को बंधक बना लेता है और देवराज को काम करने के लिए मजबूर करता है। जेम्स लुकास को समझाने की कोशिश करता है पर लुकास उसकी एक नही सुनता। मजबूरीवश देवराज लुकास की मांग पूरी करने की योजना बनाने में जुट जाता है पर साथ ही जेम्स की सहायता से जगमोहन को छुड़ाने और लुकास को सबक सिखाने की योजना पर भी काम शुरू कर देता है। 

देवराज चौहान भी मुस्कराया। 
"गन है तुम्हारे पास?" 
"इंतजाम हो जाएगा। तुम्हारा प्लान क्या है?" जेम्स वर्ली ने पूछा।
"जल्दी बताऊंगा प्लान भी।"
"लुकास को कब फोन करोगे?" 
"पांच-छ: दिन बाद। उसे इंतजार करने दो।"

इसी बीच भारत में मुंबई की ओर जा रहे एक हवाईजहाज को देवराज चौहान और उसके साथी हाईजैक कर लेते हैं और एक यात्री की हत्या भी कर देते हैं। देवराज चौहान और उसके साथी हवाईजहाज को जबरदस्ती एक सुनसान सड़क पर उतरवा कर उसमे से स्टील के चार बक्से निकाल लेते हैं और बक्से अपनी वैन में डाल कर वहां से भाग जाते हैं। वैन लेकर वो लोग पहले से ही देखकर रखी हुई एक सुरक्षित जगह "मिसेज डिसूजा के घर" पर जबरन अधिकार कर लेते हैं और कुछ दिन के लिए वहीं छुप जाते हैं। 

"मुझे मत मारना।" मिसेज डिसूजा का स्वर कांप उठा - "मैं मर गई तो नीटू जीते जी मर जाएगा। उसे कौन देखेगा?" आंखों में आंसू आ गए।"
"तो तुम्हें हमारा यहां रहना मंजूर है!" 
"ह..हां."
हुसैन ने रिवॉल्वर हटा ली। 
मिसेज डिसूजा गहरी-गहरी सांसें लेने लगी। आंखों में आए आंसुओं को साफ किया।

हाईजैक और स्टील के बक्सों की लूट की खबर सुनते ही सरकार में हड़कंप मच जाता है। गृहमंत्री जी तुरंत इंस्पेक्टर वानखेड़े और कुछ महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ मीटिंग करते हैं। गृहमंत्री जी कोई कदम उठा पाएं, इससे पहले ही राष्ट्रपति महोदया देश की सबसे खतरनाक सरकारी इन्वेस्टिगेशन संस्था "जिन्न" को इस केस की जांच करने का आदेश दे देती हैं। 

"फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी।" गृहमंत्री जी के होंठों से निकला - "आपका मतलब कि जिन्न को?" 
"जी हां। हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है। जिन्न यानि कि फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी इस काम में दखल देगी। बेहतर होगा कि आप वानखेड़े साहब के अलावा किसी और को इस काम में न डालें।" 
"मैं समझ गया राष्ट्रपति महोदया।" इसके साथ ही लाइन कट गई।

जिन्न संस्था तुरंत एक्शन में आ जाती है और उसी समय इमरजेंसी मीटिंग बुलाई जाती है। इधर हवाईजहाज के हाईजैक में देवराज का हाथ होने का समाचार सुनते ही नगीना और सोहनलाल भी परेशान हो जाते हैं और अपने स्तर पर इसकी छानबीन शुरू कर देते हैं। इस छानबीन के दौरान उनका जिन्न और इंस्पेक्टर वानखेड़े से भी आमना-सामना होता है।

ग्रीस में लुकास को देवराज चौहान से ऐसा क्या काम निकलवाना था कि उसने जगमोहन को बंधक बना लिया? 
क्या देवराज चौहान जगमोहन को लुकास से छुड़वा सका और लुकास को सबक सिखा सका? 
ऐसा क्या था उन स्टील के बक्सों में जिसके लिए देवराज चौहान ने भारत में हवाईजहाज को हाईजैक कर लिया?
हाइजैक हुए हवाईजहाज से स्टील के बक्सों की लूट की खबर सुनकर सरकार में हड़कंप क्यों मच गया - वो भी ऐसा हड़कंप कि जिन्न जैसी संस्था को इस केस में दखल देना पड़ा? 
देवराज चौहान ग्रीस में लुकास के लिए काम कर रहा था और इसी समयावधि में भारत में हवाईजहाज का हाईजैक भी कर रहा था - आखिर ये क्या चक्कर था? 
क्या नगीना और सोहनलाल इस गुत्थी को सुलझा सके?
मिसेस डिसूजा और नीटू की क्या भूमिका थी इस सारे घटनाक्रम में? 
क्या जिन्न संस्था इस केस को हल कर पाई?  

इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस उपन्यास को पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं।

उपन्यास में आपको देवराज चौहान तथा जगमोहन की संक्षिप्त से थोड़ी ही अधिक भूमिका के अलावा नगीना, सोहनलाल, जेम्स वर्ली, लुकास, नील, वीरेंद्र, मिसेज डिसूजा, नीटू, चींटा, हुसैन, संतराम, नवाब, सोया, जगजीत, इंस्पेक्टर वानखेड़े और जिन्न के कुछ विशेष एजेंट (नारंग, कपूर, मदनलाल, नीरा आदि) जैसे पात्रों के बारे में पढ़ने को मिलेगा। सहायक पात्रों में मुझे जेम्स वर्ली एवं चींटा के पात्र तथा जिन्न के एजेंटों की कार्यशैली अच्छी लगी। अन्य पात्र कहानी में अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए।

उपन्यास में शाब्दिक त्रुटियां गिनी चुनी ही हैं पर उससे कहानी के प्रवाह पर कुछ अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। 

अब कहानी के बारे में बात करते हैं! न सिर्फ उपन्यास की कहानी का आधार कमजोर है बल्कि अनेक जगहों पर पन्ने भरने के लिए संवादों को और कहानी को अनावश्यक रूप से खींचा गया है। लेखक ने कहानी में कल्पना का कुछ अधिक ही उपयोग किया है जिस कारण कहानी अपनी मजबूती खो देती है। 
हालांकि ये उपन्यास देवराज चौहान सीरीज का है पर इसमें देवराज चौहान का पात्र सिर्फ शुरू और अंत में ही नजर आता है, बाकी सारा उपन्यास तो सिर्फ देवराज चौहान के नाम के सहारे ही लिख दिया गया है। 
मेरे अनुसार अनिल मोहन एक लेखक के तौर पर देवराज चौहान सीरीज के इस उपन्यास के साथ न्याय नहीं कर पाए। अगर ये उपन्यास देवराज चौहान सीरीज के स्थान पर एक सामान्य थ्रिलर के रूप में प्रस्तुत किया जाता तो थोड़ा ठीक रहता। 
ये उपन्यास अगर आप न भी पढ़ें तो मेरे विचार से एक पाठक के तौर पर आप कुछ नही खोएंगे। 

अपने कमेंट्स के द्वारा हमें अपनी राय से अवश्य अवगत करवाएं।

रेटिंग: 4.5/10

6 टिप्‍पणियां:

  1. Bs yhi to kami h
    Devraj chohan ko koi tuccha villain blackmail kr leta h...
    Hadddd h yaar

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  2. बहुत से ऐसे उपन्यास हैं जिनमें कथानक बहुत कमजोर है और ऐसे उपन्यास भी बहुत हैं जिनमें नायक / खलनायक के नाम का प्रभाव ही दृष्टिगत होता है, स्वयं पात्र नहीं ।।
    www.svnlibrary.blogspot.com

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  3. mahan hero hone ka ye matlab nahi ki aapko koi chota villain blackmail nahi kar sakta kyoki insaan to sabhi hai
    surendra mohan pathak ne likha vedprakash sharma ke Patra (vijay) ke baare mein ki vedji ke kucch patra bhagwan ke tarah hote ki unki iccha ke as anusar hi sab kuchh hota hai
    ved ji ka mein bhuhut bada fan hun kai baar unke novel mein ye dikh jata ki main hero sangharsh kar raha hota par last mein sab kuchh uske plan anusar hota hai
    anil mohan ke novel mein heto vastav me sangharsh karta hai 
    samiksha achhi hai pathak ki dilchaspi novel mein jagane wali
    samikshak ki pic bhi ab 1 number hai

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  4. लेकिन फिर भी बहुत पसंद आया,
    खासकर त्यागी और आधे बच्चे नीटू का काम,
    नगीना और सोहनलाल की जासूसी पसंद आई,
    गजाला का छोटा सा रोल पसंद आया,
    हुसैन और चिटा पसंद आये,
    FIA और वानखेड़े का काम पसंद आया,
    देवा और जग्गू तो कही थे ही नही पर ओवरआल कहानी उबाऊ नही थी बांधे रखती है,
    अगर no देने की बात हो तो 10/8 रेटिंग मिलेगी कहानी को,
    मेरे निजी विचार मान्यवर,
    मैं तो 10 में से 8 no दूंगा नावेल को,👏👏👏👏👏

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  5. देवराज इसमे अपने दरिंदगी भरे स्टाइल में नजर नही आये। देवराज का रोल ही कम था। फिर भी नावेल पसंद आया। एक ही सिटींग में पढा गया। हां देवराज सीरीज के स्टैण्डर्ड के हिसाब की नही थी। इसमे त्यागी जैसा शातिर अपराधी था जो देवराज को हर बार नचाके रख देता है। खूनी दरिंदो की संस्था जिन्न थी,जिनको बस अपने काम पूरा होने से मतलब है। नावेल आपको बांधे रखती है। आखरी सीन पसन्द आया जहा देवराज हीरा वापिस कर देता है अपने ही स्टाइल में।

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  6. Achchha review hai. Maine bhi ye novel read kiya tha. Aapne sahi likha ki Devraj or Jagmohan ka bahut chhota role hai is novel me. Sari kahani to kisi or hi jagah pe chal rahi hai.
    Ek simple thriller novel ke hisaab se ye novel theek thaak hai par Devraj ki series me ye fit nahi hota.
    main to ise 5 rating ya jyada se jyada 6 rating hi dunga. Baki anil Mohan ke pakke fans ke liye ye favourite novel ho sakta hai.

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