19 जनवरी 2022

हार जीत - सुरेंद्र मोहन पाठक


उपन्यास : हार जीत 
उपन्यास सीरीज : विमल सीरीज
लेखक : सुरेंद्र मोहन पाठक 
पेज संख्या : 272 (किंडल)

विमल का विस्फोटक संसार - अपनी दर-दर भटकती जिंदगी में सुकून और ठहराव तलाशते सरदार सुरेंदर सिंह सोहल उर्फ विमल की विस्तृत दास्तान का ग्यारहवां अध्याय जिसने आधार रखा बखिया पुराण का !!

                            किंडल पर उपलब्ध उपन्यास कवर 

पिछले उपन्यास "खाली वार" के अंत में विमल की जान बाल-बाल बचती है और सुनील की सहायता से नीलम विमल को तारकपुर से चंडीगढ़ ले जाती है। 

उपन्यास "हार जीत" से लिया गया एक छोटा सा अंश : 
नीलम की सूरत में विमल को कोई तो सहारा हासिल था, लेकिन जगमोहन तो इतनी बड़ी दुनिया में एकदम तनहा था। पता नहीं उसकी जिन्दगी किस हौलनाक अंजाम तक पहुँचने वाली थी—या शायद पहुँच भी चुकी थी।
सिडनी फोस्टर के अपहरण का सिलसिला ऐन मौके पर बैकफायर न कर गया होता तो आज दोनों की जिन्दगियाँ सँवर चुकी होतीं।

इस उपन्यास की शुरुआत होती है चंडीगढ़ के एक फ्लैट के दृश्य से जहां पर विमल बालकनी में बैठा हुआ पिछले वाकया के बारे में सोच रहा है। नीलम चंडीगढ़ में विमल का लगातार उपचार करवाती है और उसकी पूरी देखभाल करती है। दो महीने में विमल का स्वास्थ्य क्रमशः सुधर जाता है और वो चलने-फिरने के लायक हो जाता है। 
इस दौरान विमल की भावनाएं नीलम के लिए और गहरी होती जाती हैं। बातों-बातों में विमल अपने अतीत के बारे में नीलम को सब कुछ बता देता है और निर्णय लेता है कि पहले वो अपने काले अतीत का सामना करेगा जिस कारण वो अपराध की इतनी गहरी दलदल में धंस गया था और फिर नीलम के साथ नया जीवन शुरू करेगा। नीलम भी विमल के साथ एक नया जीवन आरंभ करना चाहती है परंतु वो पहले विमल से पूछती है कि क्या वाकई विमल अपने अतीत का सामना करने के लिए तैयार है? विमल का उत्तर जानने के पश्चात वो विमल का साथ देने के लिए तैयार हो जाती है। 

मैं अपनी लाचार, हर वक्‍त किसी न किसी से रहम की फरियाद करती, किसी न किसी के रहमोकरम की मोहताज जिन्दगी से तंग आ चुका हूँ। वाहेगुरु मुझे शक्‍ति दे, सामर्थ्य दे, मुझमें उन लोगों से गिन-गिनकर बदले लेने की कूवत पैदा करे, जिन्होंने हमेशा मेरे साथ ज्‍यादती की है। वाहेगुरु सच्‍चे पातशाह, अगर मेरी जिन्दगी के खाते में मेरी चन्द साँसें और लिखी हैं तो वे साँसें किसी तकदीर की मार खाए, हालात से लाचार, सारी द अपने-आप से हारे, रहम के काबिल इंसान की न हों। वे साँसें तेरे ऐसे मुरीद की हों, ऐसे खालसा की हों, जिसकी एक हुँकार से दुश्‍मनों के कलेजे काँप जायें। अगर मैं इन्सान हूँ तो इन्सान ही बनकर रहूँ, मैं बादलों की तरह गरजूँ, बिजली बनकर चमकूँ, और आँधी-तूफान की तरह कुल जहान पर छा जाऊँ। मेरी आने वाली जिन्दगी में हार के लिए कोई जगह न हो। जगह हो तो फतह के लिए—सिर्फ फतह के लिए !"

कुछ जरूरी तैयारियां करने के पश्चात दोनों इलाहाबाद के सफर पर निकल पड़ते है - जी हां! वही इलाहाबाद, जहां पर एक मेहनती और ईमानदार अकाउंटेंट सरदार सुरेंदर सिंह सोहल को जबरदस्ती अपराधी घोषित करके सलाखों के पीछे धकेल दिया गया था। 

अगले रोज वे दोनों इलाहाबाद के लिए रवाना हो गये।
तब उन दोनों का हुलिया, पोशाक और रख-रखाव ऐसा था, जैसे उनकी ताजी-ताजी शादी हुई हो और वे हनीमून के लिए निकले हों।

पर विमल को तो खुद भी नही पता था कि अपने काले अतीत का सामना करने के चक्कर में वो कितने खतरनाक सफर पर निकल पड़ा था और ये खतरनाक सफर सिर्फ इलाहाबाद पर ही खत्म नहीं होने वाला था बल्कि उसे आगे बंबई भी ले जाने वाला था!

क्या थी पूरी कहानी विमल के काले अतीत की? 
विमल क्यूं अपने काले अतीत का सामना करना चाहता था? 
विमल का अपने अतीत से कब, कहां और कैसे सामना हुआ?
क्या विमल अपने काले अतीत से हुए टकराव में जीत पाया? 
बंबई में ऐसा क्या हुआ कि अपने अतीत से विमल का टकराव एक खतरनाक युद्ध में बदल गया जिसने विमल की पूरी जिंदगी ही बदल दी?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस उपन्यास को पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं। 

मेरी राय में विमल सीरीज का यह उपन्यास रोमांचक और पठनीय है। उपन्यास की कहानी मनोरंजक है। उपन्यास में विमल अपना प्रभाव बनाए रखता है और योजनाबद्ध तरीके से काम करता है। कई जगहों पर कहानी घुमाव भी लेती है। कहानी में जहां कई दृश्य भावनाओं से परिपूर्ण बन पड़े हैं तो वहीं एक्शन और रोमांच से भरपूर दृश्य भी हैं। इस उपन्यास में पाठकों को विमल के अतीत को विस्तृत जानकारी मिलती है। 

पात्रों की बात करें तो आप विमल और नीलम के अलावा बनारसी, मौलाना, कुमुद, मिसेज साराभाई, बसंत साराभाई, सुरजीत, सखाराम, रुस्तम भाई, डोगरा, घोरपड़े, पीटर, सुलेमान, मिसेज पिंटो तथा और भी कई पात्रों से इस उपन्यास में मिलेंगे। जहां कहानी में नीलम का किरदार महत्त्वपूर्ण है वही घोरपड़े, सुरजीत, मिसेज साराभाई, डोगरा और मिसेज पिंटो के पात्र भी काफी अच्छे लगे।

यह उपन्यास वर्ष 1982 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था । 
उपन्यास का रीप्रिंट एडिशन त्रुटिरहित है ।

कमेंट्स के द्वारा अपनी राय से हमें अवश्य अवगत करवाएं | हमे आपकी बहुमूल्य राय का इंतजार रहेगा ।

रेटिंग: 8/10

8 टिप्‍पणियां:

  1. नरेश वार्ष्णेय19 जनवरी 2022 को 8:41 am बजे

    शानदार समीक्षा

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके समीक्षा लिखने का अंदाज काफी दिलचस्प है ।
    समीक्षाएं पढ़ने में बाद हर बार दिल करता है कि
    एक बार विमल सीरीज को पुनः पढा जाए। बाकी बखिया पुराण
    विमल सीरीज की महानतम कड़ी है। ये चौकड़ी पढ़कर निसंदेह
    आप भी पाठक के रूप में रोमांचित होंगे।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शानदार, दिलचस्प, ज़बरदस्त समीक्षा......... 👍👍👍👍👍

      हटाएं
  3. गजब का लेखन सुनील भाई,
    गजब की समीक्षा है,
    लेखक बन ही गये आप तो अब इंतज़ार है आप अपनी लेखनी का जादू नावेल के रूप में कब लाते हो,
    एक बार फिर आपकी समीक्षा पढ़ के विमल की इस बहुचर्चित सीरीज पढ़ने की इच्छा हो गई,बेहतरीन समीक्षा

    जवाब देंहटाएं
  4. विमल सीरीज का एक और शानदार उपन्यास।
    आपकी समीक्षा भी गजब की है समीक्षा पढ़कर ही उपन्यास पढ़ने को दिल करने लगता है ।थैंक्स....👌👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  5. रोमांचक उपन्यास लगता है समीक्षा पढ़कर..भाईजी आप समीक्षा भी इस तरीके से पेश करते हैं कि फिर जिज्ञाषा शांत करने के लिए उपन्यास ही पढ़ना पड़ता है।

    जवाब देंहटाएं
  6. Bahut sahi samiksha ki hai apne.
    Shandar novel, mast kahani hai.
    Vimal ka rajbahadur bakhia se takkar lene se theek pehle wala novel.

    जवाब देंहटाएं