08 फ़रवरी 2022

हिंदी पल्प फिक्शन में प्रेत लेखन का नंगा सच - योगेश मित्तल


पुस्तक: हिंदी पल्प फिक्शन में प्रेत लेखन का नंगा सच 
पुस्तक श्रेणी: आत्मकथा 
लेखक: योगेश मित्तल 
पृष्ठ संख्या: 268 
प्रकाशक नीलम जासूस कार्यालय 
पुस्तक लिंक: प्रेत लेखन

                       प्रेत लेखन का नंगा सच पुस्तक 

प्रिय साथियों! इस पोस्ट में हम आपको "हिंदी पल्प फिक्शन में प्रेत लेखन का नंगा सच" पुस्तक के बारे में बताने जा रहे हैं। सबसे पहले तो प्रेत लेखन का मतलब समझ लेते हैं। 
प्रेत लेखन (घोस्ट राइटिंग) - जब एक लेखक किसी और प्रख्यात लेखक के नाम से उसके उपन्यास लिखता है अथवा किसी प्रकाशक द्वारा रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क लेखक के नाम से उपन्यास लिखता है तो उस लेखक को स्वयं की कोई पहचान नहीं मिल पाती है। ऐसे लेखक को प्रेत लेखक अथवा भूत लेखक कहते हैं और ऐसे लेखन को प्रेत लेखन कहा जाता है। 

यह पुस्तक लोकप्रिय हिंदी साहित्य (लुगदी उपन्यास) क्षेत्र में एक लंबे समय से उपन्यास लिखते आ रहे लेखक योगेश मित्तल द्वारा लिखी गई है। 
जी हां! वैसे तो ये पुस्तक एक आत्मकथा है परंतु पढ़ते समय कई जगह ये एक उपन्यास का रूप ले लेती है। पुस्तक का नाम तो हटकर है ही, लेखक का नाम पढ़कर भी एकबारगी उत्सुकता जाग उठती है। जहां लोकप्रिय हिंदी साहित्य (लुगदी उपन्यास) के कई पाठक इनका नाम जानते होंगे, वही बहुत से पाठकों को जिज्ञासा भी हो रही होगी कि ये योगेश मित्तल कौन है ! 

तो साथियों! योगेश मित्तल स्वयं एक बहुत लंबे अरसे तक प्रेत लेखक के रूप में कार्यरत रहे हैं। जहां इन्होंने अनेकों उपन्यासकारों और प्रकाशकों द्वारा रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क के लिए प्रेत लेखक के रूप में पूरे के पूरे उपन्यास लिखे हैं, वहीं बहुत से ऐसे उपन्यासों में अपना योगदान भी दिया है जहां लेखकों ने कम पन्नों के उपन्यास लिखे थे अथवा किन्ही कारणवश वे उपन्यास पूरा नहीं कर पाए थे। 

इस आत्मकथा के जरिए योगेश जी ने हिंदी लोकप्रिय साहित्य के इतिहास के पन्नों में से एक ऐसे काले और बेहद कड़वे सच "प्रेत लेखन" को सामने लाने का प्रयास किया है जिससे प्रकाशकों ने अपने समय में बहुत लाभ उठाया परंतु इसी प्रेत लेखन ने बहुत से प्रतिभाशाली लेखकों को गुमनामी के अंधेरे से बाहर नहीं निकलने दिया। इसके बारे में लेखन जगत और प्रकाशन जगत के बहुत से लोग जानते तो थे परंतु बोलने, स्वीकारने और कोई ठोस कदम उठाने की हिम्मत शायद ही किसी में थी। 

अब आते हैं पुस्तक पर! अपनी आत्मकथा का आरंभ योगेश जी ने "अनकही" से किया है जिसमें उन्होंने पुस्तक की प्रस्तावना रखी है तथा स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया है कि इस आत्मकथा में उनके प्रेत लेखन जीवन का कितना हिस्सा मौजूद है। पुस्तक में योगेश मित्तल के बारे में कुछ प्रसिद्ध उपन्यासकारों के निजी विचारों को भी जगह दी गई है।
इसके बाद योगेश जी ने अपने बचपन, अपने परिवार, घर की स्थिति और आस-पड़ोस के बारे में बताया है! फिर विस्तारपूर्वक बताया है कि कैसे उनके लेखकीय जीवन की शुरुआत हुई, लुगदी साहित्य से किस प्रकार उनका नाता जुड़ा, किस प्रकार वो बहुत से प्रकाशकों और लेखकों से मित्रतापूर्ण तथा घनिष्ठ संबंध स्थापित कर पाए, कैसे दिल्ली और मेरठ के प्रकाशन संस्थानों ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ! 
इन्ही सब अनुभवों के मध्य योगेश जी ने ये भी अच्छे से बताया है कि प्रेत लेखन क्यों और कैसे आरंभ हुआ, कैसे प्रेत लेखन से प्रकाशकों ने बड़ा लाभ उठाया, कैसे प्रेत लेखन बहुत से लेखकों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ, कैसे वो स्वयं प्रेत लेखन से जुड़े, कैसे प्रेत लेखन के प्रचलन में लेखकों का भी मूक योगदान था, कैसे लुगदी साहित्य का पतन हुआ इत्यादि। साथ ही पुस्तक में योगेश जी ने कई प्रसिद्ध लेखकों के प्रति अपने भावनात्मक विचार व्यक्त किए हैं और यह भी बताया है कि किस प्रकार उनका जीवन कहीं न कहीं इन लेखकों से प्रभावित हुआ। कुछ गिनी-चुनी जगहों पर योगेश जी ने प्रकाशन संस्थानों में छोटे-मोटे काम करने वाले लोगों की चर्चा भी की है।

कुल मिलाकर पुस्तक पढ़ने में मनोरंजक है और लुगदी साहित्य से संबंधित ऐसी बहुत सी जानकारियां देती है जो शायद आपने पहले नहीं पढ़ी होंगी। पुस्तक में ऐसे बहुत सारे प्रेत लेखकों और उनसे संबंधित उपन्यासों के नाम मिलेंगे जो आपने पहले सुने नही होंगे। पुस्तक पढ़ने पर आप एक बार तो हैरान होंगे कि स्वयं योगेश मित्तल जी ने कितना अधिक प्रेत लेखन किया है और किन-किन लेखकों के लिए प्रेत लेखन किया है! ये भी जानने को मिलेगा कि कैसे कुछ प्रसिद्ध उपन्यासकारों को भी आरंभ में प्रेत लेखन करना पड़ा था। 

पुस्तक में कमी ये लगी कि कुछ बातों को लेखक ने कई जगहों पर दोहराया है जो कि थोड़ा उबाऊ लगा। लेखक के बचपन के एक-दो प्रसंग थोड़े छोटे किए जा सकते थे। 

पुस्तक में शाब्दिक गलतियां कुछ ही जगहों पर हैं अतः पुस्तक पढ़ते समय प्रवाह में कुछ खास व्यवधान पैदा नहीं करती।

यह पुस्तक प्रेत लेखन के बारे में रोचक जानकारी उपलब्ध करवाती है और साथ ही लेखक के जीवन से भी क्रमवार परिचित करवाती है। मेरी राय में इस पुस्तक को एक बार अवश्य पढ़ें।

लेखक ने पुस्तक में यह भी कहा है कि वो इसका दूसरा भाग भी लिख सकते हैं अगर प्रथम भाग को पाठकों का समुचित प्यार मिले!

पुस्तक के बारे में ये मेरे निजी विचार है आपके और मेरे विचारो में दोहराय होना कोई बड़ी बात नहीं है। कॉमेंट्स द्वारा अपने विचारों से हमें अवश्य अवगत करवाएं।

रेटिंग: 7.5/10

6 टिप्‍पणियां:

  1. प्रियवर,
    आपकी समीक्षाओं के मैं पूर्व से ही प्रशंसक रहा हूं।प्रस्तुत समीक्षा भी आपकी उत्कृष्ट समीक्षा है जो प्रेत लेखन के बारे में विस्तार से जानने की उत्सुकता ही नही उत्पन्न करती वरन सम्पूर्ण पुस्तक को पढ़ने की ओर भी प्रेरित करती है ।प्रतीक्षा रहेगी पुस्तक की ।आपकी इस संतुलित और सुंदर समीक्षा के लिए आपको शतशः धन्यवाद ।

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  2. पुरे समीक्ष्या को एक ही शब्द में कहूं तो वह होगा बेहतरीन। आपने बढ़िया तरीके से किताब के बारे में बताया। पुस्तक प्रेमी और लुगदी साहित्य के रसिया होने के कारण इसका स्याह सफ़ेद जानना की जिनग्यांसा हमेशा से था। लेखक को बहुत बहुत धन्यबाद इन सारे किस्सों को शब्द देने केलिए, किताब के रूप में प्रकाशित करने के लिए। इसको जरूर पढ़ना चाहूंगा और दूसरी भाग का भी प्रतिख्या रहेगा

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  3. शानदार कार्य और अद्भुत समीक्षा..... सुनील भाई........ 👍👍👍👍👍👍👍👍

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  4. अनगिनत लेखकों ने बड़े बड़े प्रकाशन संस्थानों के लिए प्रेत लेखन का कार्य किया है। चाहे वो छोटा मोटा लेखक हो या कोई दिग्गज लेखक। बहुत कम ऐसे प्रेत लेखक है जिनके बारे में में थोड़ा बहुत लोग जानते हैं पर ज्यादातर तो रहस्य की गर्त में छुपे हुए है, जिनको जानना भी बहुत ही मुश्किल है। इस किताब में शायद ऐसे ही बहुत से रहस्यों से पर्दा उठेगा। पुस्तक के नाम से ही इसको पढ़ने की उत्कंठा मन में जाग्रत होने लगती है। आपकी समीक्षा पढ़कर तो यह उत्कंठा और ही बढ़ गयी।
    शानदार समीक्षा देने के लिए धन्यवाद सुनील भाई।👌👌👍👍

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  5. समीक्षा पढ़कर किताब पढ़ने की इच्छा जाग जाती है। किताब पढ़कर बहुत कुछ जानने को मिलेगा। किताब का wait करेंगे। शानदार समीक्षा के लिए धन्यबाद।

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  6. Interesting book and equally interesting review.
    This book reveals one of the dark chapter (on ghost writing) in Hindi pulp fiction industry.
    Thanks for sharing the review. Good work. Keep it up.

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