22 फ़रवरी 2022

लौट आया नरपिशाच - देवेंद्र प्रसाद

उपन्यास: लौट आया नरपिशाच 
श्रेणी: हॉरर (डर, भूत-प्रेत-पिशाच)
लेखक: देवेंद्र प्रसाद 
पेज संख्या: 194 (किंडल)

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लेखक देवेंद्र प्रसाद ने वर्ष 2020 में "हॉरर/डर" श्रेणी में "नरपिशाच समीक्षा" नामक पुस्तक (कहानी संग्रह) लिखी थी जिसकी समीक्षा हम पहले ही पोस्ट कर चुके हैं। "लौट आया नरपिशाच" इसी कहानी संग्रह को और अधिक विस्तार देते हुए लेखक द्वारा उपन्यास के रूप में लिखा गया है।

उपन्यास से लिया गया एक छोटा सा अंश: 
रात के बारह बज चुके थे। कोहरा शाम से ही छाने लगा था। अंधेरे ने काली चादर फैलाकर अपना साम्राज्य कायम कर लिया था। चर्च के कब्रिस्तान के साथ-साथ पूरा इलाका अंधेरे में डूब चुका था। हवाओं का उग्र रूप इस कदर हावी था , जैसे वह आज कोई बड़ी अनहोनी का न्योता दे रहा हो। 
वह उस वीराने में जो इकलौता चर्च था, वो उस कब्रिस्तान में पड़ता था... 

इस उपन्यास का आरंभ होता है वर्ष 1995 में कब्रिस्तान के साथ बने एक जर्जर चर्च के दृश्य से जहां फादर डिकोस्टा अपने बच्चे एंथनी के साथ रहते हैं और चर्च की सेवा में नियुक्त है। अमावस्या की रात में बेहद खराब मौसम के मध्य अचानक दरवाजे पर तेज थपथपाहट सुनकर फादर डिकोस्टा दरवाजा खोलता है पर सामने किसी को न पाकर हैरान हो जाता है। अचानक दूर कहीं रोने की आवाज सुनकर मन ही मन थोड़ा डरा हुआ फादर डिकोस्टा उस दिशा में आगे जाता है। रोने की आवाज वाली जगह पर पहुंचते ही फादर डिकोस्टा के साथ एक ऐसा वीभत्स मंजर घटित होता है कि उनकी जान पर बन आती है। 

क्षण भर में ही वह दृश्य उनकी आँखों में कैद हो चुका था। उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं और उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि जैसे उसके प्राण हलक में आकर फँस गए हों। उसने जो देखा था, उस पर विश्वास करना किसी के लिए भी आसान नहीं था। इसी वजह से उसके पाँव वहीं के वहीं जम गए थे। 

24 साल बाद वर्ष 2019 में एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी का मालिक विश्वनाथ सिंह पाटिल, केविन मार्टिन नाम के एक डिटेक्टिव को चौहड़पुर नामक जगह पर एक गुप्त मिशन पर भेजता है। केविन का मिशन चौहड़पुर में एक भयानक नरपिशाच के बारे में फैली हुई अफवाहों की सच्चाई का पता लगाना है जो कि अनेक वर्षों से वहां डर और आतंक का कारण माना जाता है। 

विश्वनाथ सिंह पाटिल बोला, “लुक केविन , तुम्हें अब सबसे बड़ी चुनौती देने जा रहा हूँ। बात यह है कि तुम्हें जहाँ भेजा जा रहा है , उस जगह तुम्हारी जान जाने का भी खतरा भी हो सकता है क्योंकि वहाँ के आस-पास के कई गाँवों तक किसी नरपिशाच का साया है। 

अब तक 49 केस हल कर चुका केविन एक आत्मविश्वास से परिपूर्ण और आधुनिक विज्ञान में विश्वास करने वाला डिटेक्टिव है। केविन चौहड़पुर के लिए ड्राइवर लखविंदर सिंह की टैक्सी बुक करता है। चौहड़पुर पहुंचकर नकली नाम मार्टिन डिसूजा का इस्तेमाल कर चौहड़पुर के भव्य सेंट पॉल चर्च के फादर से मिलता है। फादर उसका परिचय एक युवती जेनेलिया से करवाते हैं जो चर्च की सार-संभाल में फादर की सहायता करती है। 

वहाँ फ़ादर एंथनी डिकोस्टा और केविन के सिवा कोई भी नहीं था। उन सभी के जाने के साथ ही एक युवती ने वहाँ प्रार्थना भवन में प्रवेश किया। उसे देखते ही फ़ादर एंथनी डिकोस्टा बोले, “केविन! इनका नाम जेनेलिया है और यहाँ इसी चर्च में पहली मंजिल पर ही रहती हैं।" 

यहीं से केविन अपनी जांच पड़ताल शुरू कर देता है ताकि इन सब अफवाहों की जड़ तक जल्दी से जल्दी पहुंच सके। जैसे-जैसे केविन इस मामले को समझने और हल करने की कोशिश करता है, वैसे-वैसे ही वो और अधिक उलझता चला जाता है और उसे एक अनजाने खतरे का आभास होने लगता है । जहां कुछ लोग उसके शक के दायरे में आते हैं, वही कुछ घटनाएं ऐसी भी घटती हैं जो उसका दिमाग घुमाकर रख देती हैं।

उन्होंने उसकी नब्ज टटोली तो उसमें भी कोई हलचल नहीं पाई। वह काफी चिंतित हो गए। वह लगभग आश्चर्य और डर के मिश्रित स्वर में बोला , “इसका हर अंग किसी मुर्दे की तरह बिल्कुल ही सुन्न है। यह संभव नहीं हो सकता , बिल्कुल भी नहीं।” 

आखिर क्या हुआ था फादर डिकोस्टा के साथ उस रात? 
फादर डिकोस्टा के बच्चे एंथनी का क्या हुआ? 
केविन की चौहड़पुर तक की यात्रा में क्या-क्या घटित हुआ? 
चौहड़पुर में इस मिशन पर काम करते समय ऐसा क्या हुआ जिसने केविन को उलझाकर रख दिया? 
क्या था सेंट पॉल चर्च का इतिहास? 
क्या रहस्य था काली बिल्ली का? 
क्या था वो अनजान खतरा जिसका आभास तो केविन को हो रहा था पर वो उसे समझ नही पा रहा था? 
कौन थी जेनेलिया और क्या थी उसकी कहानी? 
क्या वास्तव में चौहड़पुर में कोई नरपिशाच आतंक मचा रहा था या फिर ये मात्र एक अफवाह थी? 
अगर वास्तव में कोई नरपिशाच था तो क्या केविन उस नरपिशाच का खात्मा कर सका?
क्या चौहड़पुर जैसी अंजान जगह पर केविन को कहीं से कोई सहायता प्राप्त हो पाई? 
इन सब सवालों के उत्तर पाने के लिए आपको यह उपन्यास पढ़ना होगा!

आप इस उपन्यास में मुख्य पात्र केविन मार्टिन के अलावा कई और पात्रों से रूबरू होंगे जैसे कि फादर डिकोस्टा, एंथनी, विश्वनाथ पाटिल, लखविंदर सिंह, विजय, आलिया, थॉमस, जेनेलिया, जॉनी, विलियम तथा साथ ही कुछ और रहस्मयी पात्रों से भी। उपन्यास में मुझे केविन, लखविंदर सिंह और फादर के पात्र बढ़िया लगे। जेनेलिया तथा थॉमस के पात्र भी कहानी के हिसाब से उपयुक्त लगे। अन्य पात्र सामान्य लगे।

अब उपन्यास की बात करें तो हॉरर श्रेणी में यह एक बढ़िया उपन्यास है। कहानी अच्छी है और कई अलग-अलग मोड़ों से गुजरती हुई रोमांचक तरीके से समाप्त होती है। खासकर कहानी की शुरुआत, कहानी में केविन की लखविंदर सिंह के साथ टैक्सी में यात्रा वाला भाग तथा कहानी का अंतिम भाग तो मजेदार बन पड़ा है। उपन्यास का लेखकीय भी पठनीय है। 

उपन्यास में मुझे सिर्फ एक ही कमी लगी कि कुशाग्र बुद्धि केविन चौहड़पुर में केस की जांच-पड़ताल करने में कई महीनों का समय लगा देता है, जिस कारण कहानी का ये प्रसंग कुछ खिंच सा जाता है। ये जरा सही नहीं लगा। इसके अलावा कहानी कहीं भी अपनी पकड़ नही खोती है।

यह उपन्यास वर्ष 2021 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। उपन्यास के किंडल एडिशन की गुणवत्ता अच्छी है और शाब्दिक गलतियां भी बेहद कम हैं। 

मेरा विश्वास है कि हॉरर उपन्यासों के प्रेमी पाठक इस उपन्यास को पढ़कर निराश नहीं होंगे। 

कमेंट्स के द्वारा अपने विचारों से अवश्य अवगत करवाएं। हमे आपके विचारों का इंतजार रहेगा।

रेटिंग: 7.5/10

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