08 मार्च 2022

इच्छाधारी - अनिल मोहन

उपन्यास: इच्छाधारी
लेखक: अनिल मोहन
श्रेणी: माया, जादू, तिलिस्म तथा रोमांच
पेज संख्या: 304

इच्छाधारी - देवराज चौहान और मोना चौधरी का पूर्व जन्म में खतरनाक हादसों का सफर!!

'इच्छाधारी' चार उपन्यासों की श्रृंखला का द्वितीय भाग है। इस श्रृंखला का प्रथम भाग 'देवदासी' है जिसकी समीक्षा हम कुछ समय पूर्व ब्लॉग पर शेयर कर चुके हैं। 

'देवदासी' उपन्यास में पेशीराम की भविष्यवाणी के अनुसार देवराज चौहान, मोना चौधरी और उनके साथी एक बार फिर पूर्व जन्म में प्रवेश कर जाते हैं तथा अपने-अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार के खतरों का सामना करते हैं। मुख्यतः विष्णु सहाय नामक व्यक्ति इन सबके पूर्व जन्म में प्रवेश का माध्यम बनता है।

'इच्छाधारी' उपन्यास से लिया गया एक अंश: 
** "ये बाग, ये नजारा सब कुछ उसी की विद्या के तिलिस्म की देन है। यहां कई जगह उसने अपनी पसंद के खतरे तैयार कर रखे हैं जो कि देखने में, समझ में नहीं आएंगे। उन खतरों में फंस जाने के बाद वहां से बच पाना आसान नहीं। अनजान आदमी को जान से हाथ धोना पड़ता है।"
देवराज चौहान और जगमोहन की नजरें बाग में दूर-दूर तक गईं। 
"यहां नजर आने वाले वृक्षों पर लटकते फल खाने वाला बच नहीं सकता" **

'देवदासी' उपन्यास के अंत से कहानी को आगे बढ़ाते हुए 'इच्छाधारी' उपन्यास का आरंभ होता है उस दृश्य से, जहां देवराज (पूर्व जन्म में देवा) और सवा सौ वर्ष बाद मंत्र कीलित कैद से आजाद हुई देवदासी रानी अपने पूर्व जन्म की यादों में चले जाते हैं। जगमोहन (पूर्व जन्म में जग्गू) को भी सब याद आ जाता है। तभी वायुलाल की आवाज वहां गूंजती है जो रानी के आजाद होने से बहुत गुस्से में है तथा देवा, रानी और जग्गू को उनके बुरे अंजाम की चेतावनी देता है। देवा और रानी वायुलाल की आवाज को उसकी चेतावनी का जवाब देते हैं और फिर रानी के कहे अनुसार सांपनाथ की बस्ती का रास्ता ढूंढने के लिए आगे बढ़ जाते हैं। 

** "..... पता कर लूंगी मैं जल्दी ही। हमें यहां से सांपनाथ की बस्ती की तरफ चल देना चाहिए। अब हमारा एक-एक पल कीमती है।"
"चलेंगे कैसे?" 
जवाब में रानी की निगाह बाग में घूमने लगी। इस वक्त उसके चेहरे के भाव बदल गए थे। सतर्कता में लग रही थी वो कि तभी..... **

दूसरी तरफ एक अंधे कुएं में नगीना (पूर्व जन्म में बेला), रुस्तम राव (पूर्व जन्म में त्रिवेणी) और बांकेलाल राठौर को होश आता है जहां वो इच्छाधारी की करामात से आ पहुंचे थे। अचानक उन्हें समय नामक एक लड़के की आवाज आती है जो उन्हें अंधे कुएं से बाहर निकालता है। बाहर निकल कर तीनों को पता चलता है कि वो लोग एक वीरान से गांव में हैं जहां सिर्फ समय ही एक आखिरी मनुष्य बचा है और गांव के बाकी सब लोगों को राक्षस खा चुके हैं। जल्दी ही राक्षस समय को खाने के लिए भी आने वाला था। नगीना, रुस्तम और बांकेलाल डरे हुए समय को मदद का आश्वासन देते हैं। शीघ्र ही राक्षस समय को खाने के लिए आ पहुंचता है। समय जाकर झोंपड़ी में छुप जाता है जबकि नगीना, रुस्तम और बांकेलाल राक्षस का सामना करते हैं। परंतु उनके इस युद्ध का ऐसा दिल दहला देने वाला परिणाम निकलता है जिसकी कोई सपने में भी उम्मीद नहीं कर सकता था।

** उधर रुस्तम राव आहिस्ता से पेड़ से उतरा और तलवार संभाले शिकारी चीते की तरह उसे देखता दबे पांव उसकी तरफ बढ़ने लगा। कमर में उसने कटार फंसा रखी थी।
वो राक्षस बार बार चीखकर समय को सामने आने को कह रहा था। 
बांकेलाल राठौर और नगीना अपनी-अपनी जगहों पर छिपे राक्षस की हरकतों को पहचानने की चेष्टा कर रहे थे। **

तीसरी तरफ एक अन्य स्थान पर वायुलाल का पुराना सेवक गंगू अपनी नौका में मोना चौधरी (पूर्व जन्म में मिन्नो), पारसनाथ और महाजन (पूर्व जन्म में नीलसिंह) को नदी पार करवा रहा होता है। सोहनलाल (पूर्व जन्म में गुलचंद) भी इनके संग होता है। नौका के नदी किनारे पहुंचते ही वायुलाल मोना चौधरी और उसके साथियों से मिलता है। वायुलाल पहले उन्हें पूर्व जन्म की घटनाएं और ताजा हालात के बारे में बताता है तथा फिर उन सबको अपने महल में ले जाने का प्रस्ताव देता है। 

** कश्ती के बीचों-बीच लकड़ी का खिड़कियों वाला कमरा था जिसके भीतर मोना चौधरी, पारसनाथ और महाजन मौजूद थे। कश्ती उन सीढ़ियों के पास पहुंच चुकी थी। 
मिन्नो दुबारा जन्म लेकर, वायुलाल के पास सवा सौ बरस बाद पुनः आ पहुंची थी। **

देवराज चौहान पर वायुलाल के क्रोध की क्या वजह थी? 
क्या थी देवदासी रानी की पूर्व जन्म की कहानी? 
सांपनाथ कौन था और क्या उद्देश्य था उसका? 
देवराज, रानी और जगमोहन आखिर किस प्रयोजन से सांपनाथ की बस्ती की ओर बढ़ रहे थे? 
समय कौन था और वो राक्षस उसके पीछे क्यों पड़ा हुआ था? 
नगीना, रुस्तम, बांकेलाल तथा राक्षस के मध्य हुए युद्ध का ऐसा क्या दिल दहला देने वाला परिणाम निकला जिसने पूरे घटनाचक्र की दिशा ही बदल कर रख दी? 
वायुलाल मोना चौधरी और उसके साथियों को अपने महल में क्यों ले जाना चाहता था? 
आखिर इच्छाधारी का प्रयोजन क्या था? 
सांपनाथ किस तरह की दुविधा में फंस गया था? 
देवता मोमबांबा कौन था और क्या थी उसकी भूमिका? 
नागनाथ कौन था और क्या करने की फिराक में था? 
क्या देवराज, रानी, जगमोहन की मुलाकात नगीना, रुस्तम और बांकेलाल से हो सकी? 
देवराज, रानी और जगमोहन क्या सांपनाथ की बस्ती तक पहुंच सके? 
सुनेरा कौन था और ऐसी क्या विशिष्ट वस्तु रखी हुई थी उसके पास? 
इन सब प्रश्नों के उत्तर आपको इस उपन्यास में मिलेंगे!

पात्रों के बारे में बात की जाए तो पिछले उपन्यास के अधिकांश पात्रों के अलावा इस उपन्यास में आपको हुगली, मुंगेरा, सांपनाथ, दुदका, सुमित्रा, कुड़की, हुंडी, मुद्रानाथ, तूतका, छिंदड़ा, देवता मोमबांबा, सुनेरा, नागनाथ की उपस्थिति मिलेगी। 
उपन्यास के नए पात्रों में मुझे सांपनाथ, दुदका, कुड़की और हुंडी अच्छे लगे। देवता मोमबांबा थोड़े रहस्यमयी प्रतीत हुए। रानी का पूर्व जन्म का प्रसंग, बांकेलाल और रुस्तम का राक्षस से खतरनाक युद्ध, वायुलाल की विद्या, सांपनाथ का जानलेवा संघर्ष - ये सब पढ़ने में आनंद आया। जलेबी एक बार फिर इस उपन्यास में आपको नजर आएगी।

मेरे विचार से उपन्यास तेज रफ्तार, दिलचस्प और पठनीय है। उपन्यास में पात्रों की भूमिका तथा उनके संवादों के साथ-साथ माया, जादू और तिलिस्म का भरपूर उपयोग किया गया है जो पाठकों को बांधे रखता है। जिस प्रकार से कहानी में रहस्यों को परत-दर-परत पिरोया गया है और फिर एक-एक कर रहस्यों की परतें खुलती जाती हैं, यह बहुत मनोरंजक लगा। कहानी किस समय पर क्या मोड़ ले लेगी, इसका अनुमान लगा पाना भी काफी कठिन हो जाता है।

निःसंदेह कुछ रहस्य तो श्रृंखला के अगले उपन्यास "नागराज की हत्या" में ही खुलेंगे, वहीं आने वाले कुछ और रहस्य आगे की कहानी में रोचकता भी पैदा करेंगे! 

उपन्यास पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगा कि उपन्यास का मुखपृष्ठ (कवर) कहानी के अनुसार डिजाइन नही किया गया है । 
मुझे इस उपन्यास की कहानी में दो कमियां लगीं:
प्रथम कमी - मुख्य पात्र देवराज चौहान और मोना चौधरी इस उपन्यास में अधिक एक्शन में नजर नहीं आते हैं। इस उपन्यास में दोनों अपने साथियों से ज्यादातर सिर्फ बातचीत ही करते रहते हैं। देवराज चौहान और मोना चौधरी को अक्सर एक्शन में देखने की उम्मीद रखने वाले पाठक यहां थोड़े निराश हो सकते हैं।
द्वितीय कमी - पारसनाथ, महाजन और मोना चौधरी बार-बार वायुलाल से एक ही तरह की बातें दोहराते रहते हैं जो कि थोड़ा उबाऊ लगा।

अपने विचारों से कमेंट्स के द्वारा हमें अवश्य अवगत करवाएं। हमे आपके विचारों का इंतजार रहेगा।

रेटिंग: 8/10

7 टिप्‍पणियां:

  1. 4 पार्ट की रोचक गाथा है, कल्पनाओ का अद्भुत लेखन,
    बेहतरीन समीक्षा 1 बार फिर देवा और जग्गू,मोना परसु,नीलू याद आ गए,आपकी समीक्षा read करके 1 बार फिर नावेल रीड करता हु

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  2. पुनः पढ़ने की इच्छा जगा देते हैं आप
    बढ़िया समीक्षा

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  3. रोचक कहानी है। आपको देवदासी से शुरूआत करने के बाद बिषमानव पर अंत करके ही चैन मिलेगा।अनिल मोहन जी ने अपने पाठकों को जो वह चाहते हैं,हमेशा दिया है।

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  4. पुस्तक के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। हिंदी के भाग वाले उपन्यासों में मैंने ये देखा है कि वह पृष्ठ संख्या बढ़वाने के लिए चीजों का दोहराव करते हैं। यानि एक किरदार एक ही चीज के को बताता है और फिर उसी चीज को उतने ही विवरण के साथ दूसरे को बताता है। या अलग अलग किरदार एक ही चीज के बारे में वही बातें बार-बार करते हैं। इससे कथानक की कसावट पर असर पड़ता है। प्रकाशक को इससे बचना चाहिए था।

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    1. सही कहा सर उपन्यास में भी ऐसा ही कई जगह देखने को मिला..

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  5. Badhia samiksha, dhanyawaad aapka. ye novel series mast hai.

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