11 सितंबर 2021

रक्त तृष्णा - चंद्रप्रकाश पांडेय

उपन्यास 📖 :- रक्त तृष्णा
लेखक ✍️ :- चन्द्र प्रकाश पाण्डेय
पृष्ठ संख्या 📄 :- 256
प्रकाशक 📚 :- थ्रिल वर्ल्ड
उपन्यास पढ़ने का लिंक :- एमेजॉन लिंक


चन्द्र प्रकाश पाण्डेय आज के पाठकों में अपनी एक अलग पैठ बना चुके हैं और इनके उपन्यास पाठकों का मनोरंजन करने में अच्छे-खासे सफल रहे हैं | विशेषत: हॉरर एवं परालौकिक शक्तियों की श्रेणी में इनका लेखन प्रशंसनीय और कामयाब दोनों रहा है |

गांवों में अक्सर डायन आदि के बारे तरह तरह की कहानियां प्रचलित रहती हैं जिन्हे लोग बचपन से ही सुनते आते हैं और बड़े होने पर भी उनमें विश्वास करते रहते हैं | जैसे कि फलां औरत डायन है, इस लड़की पे डायन का साया है, सालों से फलां स्थान पे डायन का निवास है जहां डायन किसी को मार डालती है या उस पे कब्ज़ा कर लेती है आदि..! लेखक ने इस विषय का कहानी में अच्छा इस्तेमाल किया है |

रक्ततृष्णा एक ऐसी रहस्यमयी औरत की हैरतअंगेज दास्तान है, जो लोगों के लिए एक पहेली बन गई थी और जिसकी निगाहों का मारा मौत का मुसाफ़िर बन जाता था | कोई नहीं जानता था कि वह कहाँ रहती थी और कैसे जीवन-यापन करती थी। न तो वह दिन के उजाले में दिखती थी और न ही रात के अँधेरे में। 

कलकत्ता के एक मेन्टल हॉस्पिटल में घोष बाबू की पत्नी किसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित होकर भर्ती है पर बीमारी है कि ठीक ही नहीं हो रही। अंततः परेशान होकर घोष बाबू एक बड़ा ही आश्चर्य चकित कदम उठाते हैं.... डायन द्वारा अपनी पत्नी का इलाज...।

साकेत को खबर मिलती है कि उसकी दादी बीमार है और हॉस्पिटल में एडमिट हैं अतः जल्दी से जल्दी वो अपने घर बहराइच पहुचे। ज़ब साकेत वहां हॉस्पिटल पहुँचता है तो दादी की हालात बहुत ख़राब पाता है, दादी के मुँह से आवाज़ भी नहीं निकल रही होती है। अपने अंतिम वाक्य के रूप में साकेत को उसकी दादी सिर्फ इतना ही कह पाती है "डायन आ रही है" .....| फिर साकेत को हवेली में दादी डायन के रूप में दिखाई देतीं हैं जो नवजात बच्चे को साथ लिए होती हैं। 

वहीँ गाँव में साकेत के बड़े भाई द्वारा जंगल के पास के खंडहर मंदिर की खुदाई अवैध रूप से करवाई जा रही थी | वहां ये बेहद प्रचलित था कि अमावस्या को एक डायन वहाँ स्थित तालाब में नग्न हो कर स्नान करती है | अगर कोई इस अवस्था में उसको देख लें तो उसकी जान चली जाती है, मरने के पहले उसके शरीर से खून ख़त्म हो जाता है, वो ना बोल पाता है और ना ही लिख पाता है। वहाँ से आने पर एक मजदूर इसी हालत में पाया जाता है...। 

उसी खंडहर में साकेत की मुलाक़ात एक युवती से होती है जो उसे डायन के बारे में जानने के लिए उत्सुक करती है। युवती साकेत को एक डायरी देतीं है जिसमें डायन को बुलाने की विधि होती है। डायरी की विधि प्रयोग करने पर साकेत में भी वही लक्षण आने लगते हैं जो उस मजदूर और उसकी दादी में थे और जो 15 दिन पश्चात मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।

आखिर कौन थी वो खतरनाक डायन ?
क्या उस डायन की गुत्थी सुलझाई जा सकी ?
साकेत की दादी और मजदूर की मृत्यु क्यों और कैसे हुई ?
क्या साकेत डायन से बच पाया या फिर मृत्यु को प्राप्त हुआ ?
वो रहस्यमय युवती कौन थी जो डायन के विषय में जानकारी रखती थी और उससे बचने के उपाय जानती थी ?

चन्द्र प्रकाश पाण्डेय की लेखनी से निकला एक ज़बरदस्त हॉरर नॉवेल जो आपको डायन की हक़ीक़त से रूबरू कराएगा...!

अगर आप हॉरर और परालौकिक श्रेणी के उपन्यास पढ़ने का शौक रखते हैं तो आप निराश नहीं होंगे | अगर आप हॉरर और परालौकिक श्रेणी के उपन्यास नहीं पढ़ते हैं तो भी मेरी राय है कि अपने दिल को मजबूत करें और एक बार इसे पढ़कर देखें |

रेटिंग :- 8/10

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह डायन की स्टोरी और डायन से बिमारी का इलाज क्या कल्पना है नयी मजा आयेगा पुरा बुक पढकर

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  2. सुनील भाई समीक्षा बहुत अच्छी करी है मैने भी ऑर्डर कर दी बस आने वाली हैं ।

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  3. बेहतरीन
    उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता हुआ एक आलेख । मुझे भी ये आप की मेहरबानी से आज ही प्राप्त हुई है। स्टार्ट करूंगा अब

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  4. चन्द्र प्रकाश पाण्डेय की एक और ज़बरदस्त हॉरर नॉवेल..... बेहतरीन समीक्षा... सुनील भाई...... 👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  5. novel ke shuru se suspense abhi kucch hi page padhe is novel ke aur kah sakta kafi umda lekhan
    shuru ke kucch page padhe aur laga vedpraksh sharma jis tarah jasushi mein suspense karte rahe ye panday sahab horror mein us line par hai
    ek baar is novel story shuru kijiye end tak jakar hi man shant hoga

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  6. समीक्षा से तो सच मे बहुत ही हॉरर प्रतीत होता है ये उपन्यास,इसे पढ़ने की उत्सुकता जाग उठी है मन में। शीघ्र ही फुरसत में इसको पढ़ना प्रारंभ करता हूं। समीक्षा बहुत ही बेहतरीन लगी। धन्यवाद

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  7. ऐसा उपन्यास कि एक बार शुरू करो तो आप खाना पीना भूल जायेंगे।हालांकि पाण्डे जी के उपन्यासों में वीभत्स, डरावने भूतों के चेहरों द्वारा डराने की कोशिश नही की जाती है ये तो लेखक की लेखनी का जहूरा है कि आप फिर भी अपने जिस्म में सनसनी और कंपकंपी महसूस करेंगे।बेहतरीन।

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  8. Good horror books are very less in Hindi. Your review is nice and I appreciate your efforts. Thank you.

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