03 अक्तूबर 2021

रावायण लीला ऑफ़ रावण - सिद्धार्थ अरोड़ा सहर और मनीष खंडेलवाल

कहानी📖 : रावायण लीला ऑफ़ रावण
लेखक✍️ : सिद्धार्थ अरोड़ा सहर और मनीष खंडेलवाल
पेज📄 :- 66



ये एक लघु कहानी है जिसका मुख्य किरदार जीतेन्द्र उर्फ़ जीतू है | जीतू का परिवार काफी बड़ा है जिसमे माता, पिता, जीतू और उसके ३ भाई रामेन्द्र, अजय, छुटकू और १ बहन हिमानी है जो कि तीन माले के घर में रहते हैं | बड़े भाई रामेन्द्र उर्फ़ रामू की शादी तय हो गयी है | जीतू लगभग २३ वर्ष का है और अपने भाई-बहनो में तीसरे नंबर का है | इनके घर में अक्सर मेहमानो का ताँता लगा रहता है |
पढ़ाई-लिखाई और नौकरी में सफल न होने के कारण घर वाले जीतू को लायक नहीं समझते और उसे घर के सारे छोटे-मोटे काम दिए रखते हैं जैसे सब्जी काटना, किचन में बहन की सहायता करना, कूड़ा फेंकना, बाहर के सारे काम करना, मेहमानो को नाश्ता इत्यादि सर्व करना | हालांकि जीतू खुशमिजाज है पर इस कारण घर वालो से अधिकतर बदतमीजी से ही बात करता है |
नवरात्रों के टाइम जीतू की मौसी अपने परिवार के साथ उनके घर दिल्ली की मशहूर रामलीला और जीतू के परिवार का हमेशा चलने वाला तमाशा देखने आते हैं |
जीतू मौसी को अपने पिता के साथ रंग-रलियां मनाते देख लेता है पर कोई उसकी बात का विश्वास नहीं करता और उसे एक हफ्ते के लिए कमरे में नजरबन्द कर दिया जाता है | उसी रात जीतू घर से निकल कर छत पर पड़ोसन उर्मि के साथ बियर पीने चला जाता है | दूसरे नंबर का भाई अजय उसे देख लेता है और दोनों में झगड़ा हो जाता है | सब छत पर पहुँच जाते है और मौसी इस आग में घी डाल देती है| परिणामस्वरूप जीतू को घर से निकाल दिया जाता है | 
जीतू उर्मि के कमरे में छुपकर चला जाता है पर वहां उर्मि की माँ के कमरे में किसी की उपस्थिति पाकर जीतू और उर्मि चौंक जाते है | दोनों पता लगाने की कोशिश करते है पर कुछ गड़बड़ हो जाती है और दोनों को वहां से निकलना पड़ता है | 
अब दोनों समय गुजारने के लिए शमशेर के घर में जा के छुप जाते है जो कि रामायण में रावण का रोल करता है और ज्यादातर रावण के नाम से ही जाना जाता है | शमशेर अच्छी कद काठी और बुलंद आवाज का मालिक है, घर में अकेला ही रहता है और शाम को मुख्यत: सोने के लिए ही घर आता है | यहां जीतू और उर्मि एक दूसरे के बेहद करीब आ जाते हैं | रावण को उनकी घर में मौजूदगी का पता लग जाता है पर वो उनको अपने यहां रखने को मान जाता है जब तक वो वापिस अपने घर न जाए | 
फिर जब जीतू और उर्मि वापस उर्मि के घर जाते है तो वहां एक काण्ड हो जाता है जिसकी वजह से उर्मि को अपने घर रूकने का मन बनाना पड़ता है | जीतू अपने घर न जाकर रामलीला मैदान में जाता है जहां रावण रामलीला में काम करता है |
जीतू अपने दोस्त कपि के साथ रावण के घर में और रामलीला मैदान में उर्मि का इन्तजार करता है पर वो नहीं आती | कपि को लगता है की रावण ने उर्मि को किडनैप कर लिया है क्यूंकि वो रावण है, पर जीतू सहमत नहीं होता | मैदान में कपि और रावण के बीच बड़ा झगड़ा हो जाता है जिसे किसी तरह रुकवाया जाता है | वापिस रावण के घर आने पर वहां जीतू को उर्मि की शर्ट का कपडा और खून के निशान मिलते हैं | कपि फिर रावण पे इल्जाम लगाता है और पुलिस को बुलाने पे जोर देता है | तभी पुलिस आ जाती है और जीतू को उर्मि के किडनैप के केस में पूछताछ के लिए पकड़ कर ले जाती है | जीतू को थोड़ा मार-पीट कर पुलिस सुबह छोड़ देती है क्यूंकि वो बेगुनाह साबित होता है | जीतू कपि के साथ उर्मि के घर जाता है ताकि उर्मि के किडनैप के बारे में कोई जानकारी मिल सके | 

जीतू को उर्मि के किडनैप का शक कैसे हुआ? 
उर्मि के घर में क्या काण्ड हुआ? 
उर्मि कहाँ किडनैप थी? 
किसने उसे किडनैप किया और क्यों? 
जीतू की जान पर कैसे बन आयी?
अंत में जीतू और उर्मि का क्या हुआ? 
रावण उर्फ़ शमशेर की कहानी क्या थी और क्या हुआ रावण का? 
उर्मि की माँ का क्या रहस्य था? 
जीतू के परिवार के सदस्यों के क्या रहस्य थे? 
इन सब प्रश्नों के उत्तर आप कहानी पढ़कर ही जान पाएंगे |

कहानी का शीर्षक थोड़ा हट कर है और कहानी रावण, रामलीला कमेटियों के साथ ही उन लोगो को समर्पित की गयी है जिन्हे सिर्फ अपने नाम की वजह से अपने कामों की जीवन भर सफाई देते रहना पड़ता है या फिर बातों को सहन करना पड़ता है क्यूंकि हमारा समाज के ज्यादातर लोग किसी भी इंसान के हर काम को उनके नाम से किसी न किसी तरह से लिंक करके टिप्पणियां करने में माहिर है जो कि एक कटु सत्य है |

कहानी का अंत संवेदनशील है और हमें सोचने पर मजबूर करता है | रावण का किरदार और उसकी बाते सबसे ज्यादा अच्छी लगी।
कहानी में हर जगह ऐसा दिखाया गया है कि लगभग हर किरदार का एक रहस्य है जिसे छुपाने के चक्कर में घटना पे घटना होती चली जाती है | 
लेखकों ने कहानी की गति को तेज रखा है पर बहुत सी घटनाओं को आपस में जोड़ने के चक्कर में कई जगहों पर तालमेल गड़बड़ा गया है और कहानी की लय भी थोड़ी बिगड़ गयी है | 
इसलिए कुल मिलकर कहानी मुझे कुछ औसत ही लगी |

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