09 अक्तूबर 2021

तहकीकात पत्रिका

कुछ समय पहले आप सभी ने हमारे ब्लॉग पर नीलम जासूस कार्यालय का साक्षात्कार पढ़ा था। जिन्होंने ये साक्षात्कार नही पढ़ा वो इसे यहां से पढ़ सकते हैं। नीलम जासूस कार्यालय साक्षात्कार



जैसा कि उस समय नीलम जासूस कार्यालय ने आपने साक्षात्कार में कहा था कि भविष्य में वह नए लेखकों को भी मौका देंगे, तो अब काफी सारे नए लेखकों के पास मौका है अपनी कहानी प्रकाशित करवाने का।

अब नीलम जासूस कार्यालय ने एक नई द्विमासिक पत्रिका शुरू की है। कोई भी नए और पुराने लेखक अपनी रचनाएं इस पत्रिका में प्रकाशित करवाने के लिए उन्हे भेज सकते हैं । 

आपकी रचना निम्नलिखित मापदंडो के अनुसार होनी चाहिए:-

1 :- नई द्विमासिक पत्रिका “तहक़ीक़ात” के लिए थ्रिल, सस्पेन्स और जासूसी कहानियाँ / रचनाएँ आमंत्रित हैं।
2 :- रचनाएँ मौलिक और अप्रकाशित हों।
3 :- यूनिकोड हिन्दी फॉन्ट में टाइप की गई हों (साफ पठनीय हस्तलिखित रचनाएँ भी स्वीकार्य हैं।)।
4 :- शब्द-सीमा : कम से कम 3500 .
5 :- संपादक मण्डल द्वारा चयनित रचनाओं को प्रकाशित किया जाएगा।
6 :- लेखक अपना परिचय, मोबाइल न., ईमेल व अपनी नवीनतम फोटो साथ भेजें।
7 :- संपादक मण्डल का निर्णय अंतिम होगा।


उदाहरण के लिए तहकीकात पत्रिका का प्रथम भाग यहां आपके सामने है। इसका मूल्य 150 रुपए है और पेज संख्या 150 से ज्यादा है। जैसे पहले के समय में जासूसी पत्रिका, सत्यकथा, इत्यादि पत्रिकाएं आती थी, तहकीकात भी उन्ही की तरह है।

अपनी रचनाएँ निम्न ईमेल आई डी और व्हाट्सएप्प न. पर भेजें। ज्यादा जानकारी के लिए आप निम्न आईडी पर संपर्क कर सकते है। चयनित रचनाओं के लेखकों से नीलम जासूस कार्यालय आपके दिए हुए एड्रेस और कॉन्टेक्ट न. से आपको संपर्क करेंगे।

Email: tehkikatnjk@gmail.com
Whatsapp (सुबोध भारतीय): 9311377466

3 टिप्‍पणियां:

  1. क्या हमें इसके जरिए अन्य लेखकों की प्रकाशित रचनाएं प्राप्त हो सकेंगे? कोई भी जासूसी कहानी हो आपराधिक कहानी हो या क्राइम की दुनिया से रिलेटेड हो

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    1. जी हां पर सिर्फ उन्ही लेखकों की जिनकी रचना इनके मापदंडों के अनुसार होगी। जो लेखक अपनी रचना भेजेंगे और जो रचना उन्हे सही लगेगी वही आप और हमारे जैसे पाठको को मिलेगी।

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  2. mujhe purani ek to do patrikyan ka dhyan hai jin mein ved Parkash kamboj ki aur ibne safi jaise bade lekhakon jasusi ki kahaniyan aati thi us time manoranjan ka pramukh sadhan thi
    ab ye tahkikat namak patrika bhuhut accha prayas na kewal pathakon ke liye
    Balki naye lekhakon ko mouka dene ke liye

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