13 जून 2021

साक्षात्कार - बृजेश शर्मा (पैन नेम - अजिंक्य शर्मा)

आज आप सबके लिए प्रस्तुत है प्रख्यात लेखक ब्रजेश कुमार शर्मा जी का साक्षात्कार | ब्रजेश जी छतीसगढ़ के महासमुंद शहर में निवासरत हैं | इन्होने अपनी पेन नेम 'अजिंक्य शर्मा' से कई बेहतरीन जासूसी उपन्यासों की रचना की है और उपन्यास जगत की नयी पीढ़ी के लेखकों में से अपनी एक पहचान कायम कर चुके हैं |


ब्रजेश कुमार शर्मा

सवाल 01: सबसे पहले तो हम आपका परिचय जानना चाहेंगे - आपका नाम, आपकी एजुकेशन, आप कहाँ से है और आपकी रुचि किन चीजों में है ?

मेरा नाम ब्रजेश कुमार शर्मा है। मैंने मैथ्स से B.Sc. की है और विज्ञान में मेरी गहन रुचि है।  

मैं छतीसगढ़ के महासमुंद शहर में निवासरत हूं। मेरी रुचि किताबें पढ़ने, संगीत सुनने और नई-नई जगहों पर घूमने में है।

मैं स्थानीय अखबार में संवाददाता के रूप में कार्यरत हूं। साथ ही अजिंक्य शर्मा के पैन नेम से जासूसी उपन्यास भी लिखता हूं।


सवाल 02: आप आपने वास्तविक नाम की जगह पैन नेम से क्यों लिखते हैं ?

ये सवाल मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि मैं पैन नेम से क्यों लिखता हूं। आप कह सकते हैं कि मैं इस मामले में प्रेमचंद जी, सर जेम्स हेडली चेईज व अन्य वरिष्ठ लेखकों से प्रेरित हूं, जिन्होंने अपने मूल नाम से न लिखकर पैन नेम से लिखा।

प्रमुख वजह यही थी कि मैं काफी विविधतापूर्ण लिखना चाहता हूं। अलग-अलग जोनर की किताबें एक ही नाम से लिखने से कन्फ्यूजन की स्थिति निर्मित न हो इसलिए मैंने जासूसी उपन्यास पैन नेम से लिखना शुरू किया।


सवाल 03: आप इस फील्ड में कैसे आए और आप किस से प्रेरित हुए लेखन को लेकर ?

जासूसी उपन्यासों में मेरी काफी रुचि रही है। लेकिन 2005 के आसपास तक ही मैंने अधिकांश उपन्यास पढ़े थे। उसके बाद उपन्यास पढ़ना तो कम हो गया लेकिन रुचि अब भी बरकरार है।

इसी बीच मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के बाद पुस्तकालयों की संख्या कम होने से मुझे लगने लगा कि उपन्यास छपना बंद हो गए। बाद में सोशल मीडिया पर किताबों से सम्बंधित ग्रुप्स से जुड़ने पर मुझे एहसास हुआ कि अब भी जासूसी उपन्यासों में रुचि रखने वाले लोग हैं। और वे चर्चा भी करते हैं कि अब जासूसी लेखक कम ही रह गए हैं। 

इसी से प्रेरित होकर मैंने अपना पहला उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' लिखा और किंडल पर प्रकाशित किया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि उस उपन्यास को इतना पसंद किया जाएगा। अच्छा प्रतिसाद मिलने से फिर मैंने दूसरा उपन्यास 'पार्टी स्टार्टेड नाओ!' लिखा, जो कि एक स्लैशर थ्रिलर है। मैं इस उपन्यास में एक नई तरह की कहानी लिखना चाहता था और मौत अब दूर नहीं की तरह ही इसका भी अच्छा प्रतिसाद मिलने से फिर मैंने आगे भी लिखना जारी रखा और हर उपन्यास में पाठकों को कुछ नया देने की कोशिश की। 

मुझे खुशी है कि पाठकों ने मेरे प्रयासों को सराहा भी और मुझे निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि अन्य कई साथी लेखकों की तरह ही मैं भी जॉब करता हूं, जिससे लेखन के लिए समय निकालना मुश्किल होता है लेकिन फिर भी पाठकों के प्यार और प्रोत्साहन से प्रेरणा मिल रही है।


सवाल 04: कृपया अपनी संघर्ष गाथा के बारे में बताइये मतलब अपना पहला उपन्यास आपने कैसे लिखा? उसे लिखते समय और प्रकाशित करने में आपको क्या क्या परेशानियां आई ?

जैसा कि मैंने बताया, मेरा पहला उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' है, जो एक थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री है। किताब लिखना सुनने में तो बहुत आसान लगता है लेकिन जब मैंने लिखना शुरू किया, तब मुझे एहसास हुआ कि लेखकों को कितनी मुश्किल होती होगी। कई जगह कहानी थम जाती है और आगे सोचना मुश्किल हो जाता है। और भी कई तरह की समस्याएं आतीं हैं।

पुस्तक प्रकाशित कराना तो आजकल बहुत आसान हो गया है लेकिन असली चीज तो कंटेंट ही है। कई प्रकाशन पेड या फ्री सर्विस देते हैं, जिनसे किताब छपवाईं जा सकती है। वर्तमान में मेरी किताबें किंडल पर ही उपलब्ध हैं। आगामी 2-3 महीने में उन्हें हार्डकॉपी में लाने की योजना है क्योंकि पाठक लगातार हार्डकॉपी की मांग कर रहे हैं।


सवाल 05: आपका पसंदीदा उपन्यास और लेखक कौनसा है जिस से आपको हमेशा लिखने की प्रेरणा मिली ?

जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी मेरे आदर्श रहे हैं, जिन्होंने हिंदी में इतना उत्कृष्ट लेखन किया है कि अंग्रेजी उपन्यासकारों को भी पीछे छोड़ दिया। मुझे उनके उपन्यास इतने पसंद हैं कि उनके कई उपन्यास मैंने 2-4 बार पढ़े हैं और कुछ उपन्यास तो 15-20 से भी अधिक बार पढ़े हैं। उनकी प्रशंसा करने के लिए तो सौ पन्ने भी कम पड़ जाएंगे।

मुझे शर्मा जी के राजेश, जगत, जयन्त, जगन-बन्दूकसिंह के लगभग सभी उपन्यास बहुत पसंद हैं। उनके सामाजिक उपन्यास भी बेहद पसंद हैं, जिनमें अपने देश का अजनबी, नयनतारा, पिंजरे का कैदी, पी कहां, एक रात आदि शामिल हैं। आदरणीय श्री शर्मा जी ने विभिन्न क्षेत्रों में एक से बढ़कर एक उपन्यासों की रचना की। उनकी लेखनी तो जिस विषय को छू देती थी, उस पर सोने जैसा उपन्यास लिख देते थे। वे भारत के स्टीवन स्पीलबर्ग की तरह ही थे, जिन्होंने अलग-अलग विषयों पर शानदार फिल्में बनाई हैं।

इंग्लिश लेखकों में मुझे डैन ब्राउन, माइकल क्रिस्टन आदि लेखक पसंद हैं।


सवाल 06: जिस विधा में आप लिख रहे है, आपकी नजर में उसका भविष्य क्या है?

जासूसी उपन्यास लेखन का क्षेत्र कुछ वर्ष पूर्व तक सिमटने लगा था लेकिन श्री संतोष पाठक जी, श्री शुभानन्द जी, श्री इकराम फरीदी जी, श्री कंवल शर्मा जी, श्री अनिल गर्ग जी जैसे लेखकों ने ऐसे समय में लिखकर जासूसी लेखन को नई ऊर्जा प्रदान की और अब ये जासूसी लेखन में शीर्ष लेखकों में शामिल हैं। अगर कुछ लेखकों के नाम मुझसे मिस हो गए हैं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं। फिर बाद में और भी लेखक जुड़ते रहे। वर्तमान में कई लेखकों के उपन्यासों की बेहद सराहना की जा रही है, जिससे यही लगता है कि जासूसी लोकप्रिय साहित्य एक बार फिर स्वर्णिम भविष्य की ओर अग्रसर है।

हॉरर भी जासूसी साहित्य से जुड़ा हुआ विषय मानें तो श्री चंद्रप्रकाश पाण्डे जी के हॉरर उपन्यास भी बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं।


सवाल 07:  सुना है कुछ दिनों में आपकी नई किताब आने वाली है | आप अपने पाठकों को उसके बारे में कुछ बताना चाहेंगे कि आपकी नई किताब किस तरह की है और किस विषय पर आधारित है ?

मेरी नई किताब जो मेरा आठवां उपन्यास है, थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री है और हर बार की तरह इसमें भी मैंने कुछ अलग लिखने की कोशिश की है। उम्मीद है 'द ट्रेल' की तरह ही ये भी पाठकों के विश्वास पर खरी उतरेगी।


सवाल 08: सुना है अभी तक की आपकी बुक्स (उपन्यासों) में सबसे बड़ी बुक आपने 'द ट्रेल' लिखी पर कुछ पाठको को अच्छी नही लगी या उनको आपसे कुछ शिकायत रही | आप उन्हे क्या जवाब देना चाहेंगे ?

'द ट्रेल' सचमुच मेरा अब तक का सबसे लंबा उपन्यास रहा है। ये उपन्यास एक लाख से भी अधिक शब्दों का है। मेरे ही दो उपन्यास 'अनचाही मौत' और 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' दोनों को मिला भी दिया जाए, तब भी उनमें इतने शब्द नहीं हैं।

द ट्रेल के लंबे होने के मामले में भी पाठकों की अलग-अलग प्रतिक्रिया रही। कई पाठकों ने कहा कि उपन्यास कब खत्म हो गया, पता ही नहीं चला। इतने लंबे उपन्यास के बारे में जब पाठक ऐसा कहें तो ये सचमुच ही मेरे जैसे नए लेखक के लिए काफी प्रोत्साहित करने वाली बात है, जिसके लिए मैं सभी पाठकों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

कुछ पाठकों ने उपन्यास के अंत के एक प्रसंग को गैर जरूरी तो कुछ पाठकों ने जरूरत से ज्यादा लम्बा भी बताया। उन पाठकों की शिकायत को भी सर-आंखों पर लेते हुए मैं कहना चाहूंगा कि असल मैं उपन्यास इससे भी ज्यादा लम्बा था और इसे और अधिक लम्बा रखने से बचने के लिए ही करीब 20-30 पेज कम किए थे।


सवाल 09: आपके अभी तक 7 उपन्यास आ चुके है आप इनमे से किसे अपनी सबसे अच्छी रचना समझते है ?

ये कहना तो मेरे लिए मुश्किल है क्योंकि एक पिता के लिए ये बताना मुश्किल होता है कि वो अपनी कौन सी संतान को सबसे ज्यादा प्यार करता है। व्यवसायिक रूप से देखें तो 'काला साया' और 'द ट्रेल' ही मेरे अब तक के सबसे सफल उपन्यास रहे हैं।


सवाल 10: Pulp Fiction का भविष्य आने वाले समय में कैसा होगा.... उनकी चुनौती.....?

पल्प फिक्शन के सामने कई प्रमुख चुनौतियां हैं। अच्छा लेखन होना चाहिए। पायरेसी पर रोक लगनी चाहिए। और पूरी तरह रोक न लग सके तो कम से कम कमी तो आनी चाहिए। मोबाइल, इंटरनेट जैसे मनोरंजन के साधनों से भी कड़ी प्रतिस्पर्धा है, जिन्होंने एक समय तो पल्प फिक्शन को काफी पीछे छोड़ दिया था।

यदि इसी प्रकार अच्छे लेखकों ने लिखना जारी रखा और पाठक संख्या बढ़ती रही तो पल्प फिक्शन का भविष्य आने वाले समय में और भी अच्छा हो सकता है। हमने पल्प फिक्शन का स्वर्णिम युग देखा है। क्या पता हीरक युग देखना अभी बाकी हो।


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|| साक्षात्कार के लिए बृजेश कुमार शर्मा जी का ह्रदय से धन्यवाद ||



15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही शानदार साक्षात्कार है। उम्मीद है आगे भी इसी तरह के और भी लेखकों का साक्षात्कार पढ़ने को मिलेगा। ब्रजेश कुमार शर्मा जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा।

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  2. जबरदस्त सवाल शानदार जवाब, लेखक महोदय को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, बस ऐसे ही लिखते रहे और हम सभी पाठको की ईश्वर से यही कामना है।

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  3. जबरदस्त सवाल शानदार जवाब, लेखक महोदय को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, बस ऐसे ही लिखते रहे और हम सभी पाठको की ईश्वर से यही कामना है।

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  4. ब्रजेश शर्मा का साक्षात्कार रोचक लगा...... उम्मीद है आगे भी विभिन्न जासूसी लेखकों के साक्षात्कार आते रहेंगे... 😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘

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  5. में तो इंतजार कर रहा हूं की कब बृजेश भाई के उपन्यास हार्ड कॉपी में आयेंगे और कब में पढ़ूंगा, बृजेश भाई आप ऐसे लिखते रहें और हम पाठको का मनोरंजन करते रहे ।

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    1. जी उनसे बात की है अगले दो महीने में हार्डकॉपी में भी उनके उपन्यास पढ़ने को मिलेंगे और 20 दिनों में उनकी नई बुक भी आने वाली है...

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  6. It is good to know about Brijesh ji.
    His books are interesting to read.
    Thank you.

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